मौसम बदलने से किसानों के माथे पर बढ़ी चिता की लकीरें, धान की फसल को होगा ज्यादा नुकसान
बदले मौसम के मिजाज व पूर्वानुमान के चलते जनपद के किसानों के माथे पर परेशानी की लकीरें खींच दी है। दो दिन से हो रहे उतार चढ़ाव व हुई हल्की बारिश से किसानों की धान की फसल खराब होने के आसार बढ़ रहे है जिससे किसानों की परेशानी भी बढ़ रही है।
कौशांबी। बदले मौसम के मिजाज व पूर्वानुमान के चलते जनपद के किसानों के माथे पर परेशानी की लकीरें खींच दी है। दो दिन से हो रहे उतार चढ़ाव व हुई हल्की बारिश से किसानों की धान की फसल खराब होने के आसार बढ़ रहे है जिससे किसानों की परेशानी भी बढ़ रही है।
सीएसएयूटी के मौसम पूर्वानुमान विभाग के अनुसार तीन दिन वर्षा की संभावना का अलर्ट जारी किया गया है, जिसमें 18 तारीख को उत्तर प्रदेश मे वर्षा की संभावना है, कृषि वैज्ञानिक डा.मनोज कुमार सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र ने बताया कि खरीफ में धान फसल एवं अन्य फसलों की कटाई करने वाले किसानों के लिए यह बदला मौसम का मिजाज चिता की लकीरें उभार रहा है। 17 अक्टूबर से शुरु हुई वर्षा से खेत में खड़ी फसल के भारी नुकसान की संभावना है।रविवार को दोपहर से तेज हवा के साथ-साथ कुछ जगह पर वर्षा भी हुई है,यह 19 अक्टूबर मंगलवार तक रुक-रुक कर वर्षा हो सकती है। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार पहले से ही 16 से 19 अक्टूबर के बीच कई जगहों पर भारी वर्षा, तेज हवाओं के साथ गरज और बिजली कड़कने की आशंका जताते हुए अलर्ट जारी किया था। मौसम अलर्ट में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से और पुरवइया हवाओं के आपसी टकराव से जो उत्तर प्रदेश के ऊपर क्लाउड बनेंगे और लाइटनिग के साथ बिजली कड़कने और बारिश होने की भी पूरी संभावना है। किसानों ने बताया कि अक्टूबर के पहले हफ्ते में हुई बारिश के चलते पहले ही फसल में देरी और नुकसान हुआ है। कहीं कहीं 16अक्टूबर की बारिश के चलते किसानों की खेत में कटी पड़ी धान की फसल भीग गई।टाईम से रोपी गई धान की कटाई की गई,जो खेतों में अभी पड़ी है और एक बार फिर से पानी गिर गया है और अभी पानी गिरने के आसार दिख रहे है, क्योंकि आसमान में बादल छाए हुए हैं और अगर अब यह वर्षा हुई तो अनाज घर ले जाना मुश्किल हो जाएगा। इस आफत की वर्षा से सिर्फ धान ही नहीं उर्द की फसल को भी नुकसान होगा। और जिन किसानों ने अगेती आलू और सरसों की बुवाई कर ली थी,उन्हें भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। बीज के खेत में ही सड़ने की संभावना हैं। इससे आलू और सरसों की बुवाई भी पिछड़ जायेगी। उद्यान वैज्ञानिक डा.जितेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि सब्जियों की फसल, टमाटर, गोभी को भी नुकसान होने की संभावना है।