तालाब में पानी न होने से पशु-पक्षी बेहाल
गुरौली गर्मी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गहर
गुरौली : गर्मी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराने लगा है। सब से अधिक समस्या मवेशियों को हो रही है। पालतू मवेशी तो किसी तरह पानी पा जाते हैं, लेकिन जंगली मवेशी पानी की तलाश में भटक रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश तालाब सूख चुके हैं। ऐसे यह समस्या धीरे-धीरे विकराल होती जा रही है। इसके लिए हम सब ही जिम्मेदार हैं। जो तालाब पूरे साल पानी से भरे रहते थे। बारिश का पानी पर्याप्त मात्रा में तालाब में न पहुंचने से समस्या गंभीर हुई है। इससे जहां एक ओर जल संरक्षण प्रभावित होता है। वहीं दूसरी ओर मवेशियों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा।
ग्रामीण क्षेत्र की छोटी- छोटी जरूरतों को पूरा करने वाले तालाब जल संरक्षण के लिए बड़ा काम करते हैं। बारिश के दिनों में जो पानी बहकर नदी नालों के माध्यम से बरबाद हो जाता है। यह यदि तालाब में पहुंच जाए तो पूरे साल मवेशियों के साथ ही अन्य जरूरतों को पूरा करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में लापरवाही के चलते बारिश का पानी तालाब में नहीं पहुंच पाता। इसके कारण यह पानी कुछ दिनों में ही सूख जाता है। इसके कारण गर्मी के दिनों में पेयजल संकट खड़ा हो जाता है। पालतू मवेशियों तो लोग पानी का इन्तजाम करते हैं, लेकिन जंगली मवेशियों के लिए तालाब का पानी की मुख्य स्त्रोत होता है। तालाब में पानी न होने के कारण इनको इधर-उधर भटकना पड़ता है। इतना ही नहीं कई बार तो मवेशी पानी की तलाश में गांव के निकट आ जाते हैं। जो इनके लिए बेहद घातक होता है। कौशांबी विकास खंड के बेरौचा के संतलाल, मनोज मिश्र, कमलेश, संदीप मिश्र, संजय, मदन, राजू का कहना है कि गांव के अधिकतर तालाबों में पानी नहीं है। इसकी वजह से मवेशियों व ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है। इसकी शिकायत एक पखवारा पूर्व तहसीलदार व लेखपाल से की थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया। तालाबों में पानी न होने से पशु-पक्षियों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। उन्होंने इस ओर जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए तालाबों और पोखरों में पानी भरवाने की मांग की है।