कोरोना संक्रमण काल ने बढ़ा दी छात्र संख्या, एक लाख 80 हजार हुई तादाद

कोरोना संक्रमण काल ने जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है। कहीं पर नकारात्मक प्रभाव रहा तो कहीं पर सकारात्मक पहलू देखने को मिला। बात विद्यालयों की हो तो परिषदीय स्कूलों की छात्र संख्या कोरोना संक्रमण ने बढ़ा दी है। यह बात अलग है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इसे अपने प्रयास का फल बता रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 11:41 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 11:41 PM (IST)
कोरोना संक्रमण काल ने बढ़ा दी छात्र संख्या, एक लाख 80 हजार हुई तादाद
कोरोना संक्रमण काल ने बढ़ा दी छात्र संख्या, एक लाख 80 हजार हुई तादाद

कौशांबी। कोरोना संक्रमण काल ने जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है। कहीं पर नकारात्मक प्रभाव रहा तो कहीं पर सकारात्मक पहलू देखने को मिला। बात विद्यालयों की हो तो परिषदीय स्कूलों की छात्र संख्या कोरोना संक्रमण ने बढ़ा दी है। यह बात अलग है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इसे अपने प्रयास का फल बता रहे हैं। परिषदीय विद्यालयों को खुले अभी 20 दिन ही हुए हैं, विद्यालयों की छात्र संख्या में इजाफा होने लगा है। जो बच्चे विद्यालय नहीं आते थे या फिर किसी दूसरे विद्यालय में जाते थे। उन लोगों ने अब परिषदीय विद्यालय का रुख किया है। इसका परिणाम रहा कि छात्र संख्या बढ़कर करीब एक लाख 80 हजार हो चुकी है। जहां संक्रमण काल से पहले विद्यालयों की संख्या एक लाख 71 हजार के करीब थी। वहीं बढ़ी संख्या ने विद्यालयों को उत्साहित किया है। शिक्षक व विद्यार्थी दोनों में इस बदले माहौल को लेकर हर्ष है। विभाग मान रहा अपने प्रयास का नतीजा

परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या में इजाफा हुआ है। इसके लिए विभाग अपना प्रयास मान रहा है। खंड शिक्षा अधिकारी मंझनपुर सीएम सिंह ने बताया कि परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या में बढ़ोतरी के लिए लगातार शिक्षकों ने अभियान चलाया। कोरोना संक्रमण काल में विद्यालय खुले रहे। शिक्षक गांव में लोगों को लगातार बच्चों को विद्यालय आने के लिए प्रेरित करते रहे। इसी का परिणाम है कि छात्र संख्या में इजाफा हुआ है।

वहीं प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने बताया कि शिक्षक दिन रात एक करते हुए काम कर रहे हैं। लंबे समय के बाद खुले हैं तो छात्रों की संख्या में इजाफा होना तय था। जहां निजी विद्यालय के शिक्षक कोरोना काल में बाहर नहीं निकल रहे थे। वहीं परिषदीय स्कूल के शिक्षकों ने आनलाइन व नुक्कड़ कक्षाओं का संचालन किया। लोगों ने स्कूल के योगदान को समझा। यहीं कारण है कि छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। परिषदीय विद्यालय का माना ज्यादा सुरक्षित

छोटे बच्चे की शिक्षा के नाम पर निजी स्कूल अधिक फीस लेते थे। इतना ही नहीं जिन दिनों विद्यालय बंद रहा। कुछ विद्यालयों ने अभिभावकों से फीस वसूल किया। कोरोना संक्रमण का भय अभी बना है। ऐसे में लोगों को लगा कि कहीं विद्यालय फिर न बंद हो जाए। जिससे उनके बच्चों का बिना विद्यालय गए ही फीस देना पड़े। इस लिए उन्होंने परिषदीय विद्यालय में नामांकन करा दिया। पास के विद्यालय में जानने पहचानने वाले विद्यार्थी होते हैं। उनके बीमार होने या फिर संक्रमित होने की जानकारी तुरंत लग जाती है। ऐसे में परिषदीय विद्यालयों को अभिभावकों ने ज्यादा सुरक्षित माना और बच्चे का नामांकन करा दिया।

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