क्षमा की पहल से बच्चे बन रहे स्मार्ट

बदलाव हर कोई चाहता है। स्मार्ट फोन और स्मार्ट सिटी चाहता है। उनके बच्चे स्मार्ट कक्षा में पढ़ें। यह ख्वाहिश हर माता-पिता की होती है। प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस उनके सपनों में रोड़ा बनी रहती है। इन्हीं बाधाओं को दूर करने के प्रयास में लगी हुई हैं प्राथमिक विद्यालय मोहम्मदपुर की प्रधानाध्यापिका क्षमा सचान।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Feb 2021 10:01 PM (IST) Updated:Tue, 02 Feb 2021 10:01 PM (IST)
क्षमा की पहल से बच्चे बन रहे स्मार्ट
क्षमा की पहल से बच्चे बन रहे स्मार्ट

टेढ़ीमोड़ : बदलाव हर कोई चाहता है। स्मार्ट फोन और स्मार्ट सिटी चाहता है। उनके बच्चे स्मार्ट कक्षा में पढ़ें। यह ख्वाहिश हर माता-पिता की होती है। प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस उनके सपनों में रोड़ा बनी रहती है। इन्हीं बाधाओं को दूर करने के प्रयास में लगी हुई हैं प्राथमिक विद्यालय मोहम्मदपुर की प्रधानाध्यापिका क्षमा सचान। उन्होंने बच्चों को स्मार्ट क्लास में पढ़ाने की जिद को आकार दिया। अपने वेतन से कंप्यूटर आदि की व्यवस्था की। स्मार्ट क्लास की नई पहल की। संयुक्त शिक्षा निदेशक ने स्मार्ट क्लास का उद्घाटन करके उनके प्रयास को खूब सराहा। दूसरों को सीख लेने के लिए प्रेरित किया।

विकास खंड चायल के प्राथमिक विद्यालय मोहम्मदपुर में स्मार्ट क्लास का शुभारंभ संयुक्त शिक्षा निदेशक राजेंद्र प्रताप ने किया। स्मार्ट क्लास का उद्घाटन करते हुए कहा कि स्मार्ट क्लास बच्चों के लिए वरदान साबित होगा। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में स्मार्ट क्लास एक अच्छी पहल है। इसके माध्यम से छात्र-छात्राओं को मनोरंजन के साथ बेहतर तरीके से विभिन्न विषयों की जानकारी दी जा सकेगी। इसके बाद शिक्षा निदेशक ने ने पूरे स्कूल का अवलोकन किया। स्कूल की साज-सज्जा देखकर उन्होंने शिक्षकों का उत्साहवर्धन किया। मिशन प्रेरणा से संबंधित जानकारी साझा करते हुए प्रेरणा लक्ष्य, प्रेरणा सूची, प्रेरणा तालिका एवं तीनों हस्त पुस्तिकाओं के बारे में जानकारी दी। विद्यालय के स्मार्ट क्लास के लिए कंप्यूटर की व्यवस्था प्रधानाध्यापिका क्षमा सचान ने अपने वेतन से किया है। अच्छे कार्य के लिए विद्यालय की प्रधानाध्यापिका क्षमा सचान, शिक्षिका आशु गुप्ता, मीना वर्मा व सुषमा कुमारी को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया। प्रधानाध्यापिका क्षमा सचान ने कहा कि यह योजना पहले महंगे फीस वाले निजी विद्यालयों में थी। जहां गरीब परिवार के बच्चे नही पहुंच पाते थे। सरकारी विद्यालयों में स्मार्ट क्लास हो जाने से विद्यार्थियों को नई तकनीक की जानकारी प्राप्त होगी।

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