खून से लाल सड़कें बनी गवाह, फिर भी अनदेखी
जनपद की कई ऐसी सड़कें हैं जहां आए दिन हादसे होते हैं। खून से लाल होते जा रहे इन मार्गों में कई स्थान पर संकेतक तो लगाए गए हैं लेकिन वाहन चालकों की लापरवाही के चलते दुर्घटनाओं का ग्राफ घटने का नाम नहीं ले रहा है। साल में एक महीने सड़क सुरक्षा अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने की मुहिम चलती है।
कौशांबी : जनपद की कई ऐसी सड़कें हैं, जहां आए दिन हादसे होते हैं। खून से लाल होते जा रहे इन मार्गों में कई स्थान पर संकेतक तो लगाए गए हैं, लेकिन वाहन चालकों की लापरवाही के चलते दुर्घटनाओं का ग्राफ घटने का नाम नहीं ले रहा है। साल में एक महीने सड़क सुरक्षा अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने की मुहिम चलती है। अभियान पूरा होने के बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारी बाकी बातों को भूल जाते हैं। फिर जब सड़क सुरक्षा की बात आती है तो अभियान चल इतिश्री पूरी कर देते हैं।
वैसे तो जनपद में हर दिन दुर्घटनाएं होती हैं। कइयों की मौत होती है तो दर्जनों लोग घायल होकर अस्पताल के बेड पर नजर आते हैं। जिले में कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जिन्हें ब्लैक स्पॉट का नाम दिया गया है। उदाहरण के तौर पर सैनी के गुरुकुल के समीप, केसरिया, लोंहदा मोड़, पइंसा का अनेठा मोड़, पिपरी का मखऊपुर मंझनपुर का चकथांभा मोड़, भक्तन का पूरा, कोखराज का परसरा मोड़ समेत दर्जन भर से अधिक स्थान हैं, जहां आए दिन एक्सीडेंट होते हैं, वह भी चालकों की लापरवाही के चलते। जिम्मेदार अफसरों की तरफ से ब्रेकर बनाने के साथ संकेतक बोर्ड तो लगवाए गए हैं, लेकिन चालक इसे नजरंदाज करते हैं। यही कारण है कि साल भर के भीतर दो सौ से अधिक लोग काल के गाल में समां चुके हैं, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए। बिना हेलमेट व सीट बेल्ट के चलने वाले लोगों के वाहनों को अभियान चलाकर पुलिस व एआरटीओ की ओर से धरपकड़ करते हैं, लेकिन फिर भी लापरवाही बरतने का सिलसिला जारी है। हर दिन होते हादसे, नहीं है ब्रेकर
मंझनपुर चौराहा से करारी मार्ग पर जिला अस्पताल के समीप हर दिन हादसे होते रहते हैं। जिला अस्पताल गेट से निकलने वाले वाहनों के चलते सड़क पर चलने वाले वाहन के चालक अनियंत्रित होकर दूसरी गाड़ियों से जा टकराते हैं। इतना ही नहीं, आए दिन इसी स्थान पर हादसे के कारण गंभीर रूप से घायल हुए लोगों की मौत भी हो जाती है। कई बार लोगों ने जिला अस्पताल गेट के दोनों तरफ मुख्य मार्ग पर ब्रेकर बनाए जाने की मांग की, लेकिन इसे अनदेखा किया जा रहा है। अगर सभी सड़कों पर ब्रेकर हो जाए तो लोग निश्चित रूप से एक तय सीमा के भीतर गाड़ी चलाएं। मगर कहीं कोई बाधा न होने पर लोग अपने अंदाज में गाड़ियों को फर्राटा भरते हुए चलाते हैं। खुद की जान जोखिम में डालते हैं। कई घरों को जीवन भर का दुख दे देते हैं। वर्जन..
ज्यादातर ब्लैक स्पॉट पर ब्रेकर व संकेतक बोर्ड लगाए गए हैं। कई नए स्थानों को चिह्नित किया गया है, जहां ब्रेकर व संकेतक बोर्ड लगाए जाने की कवायद की जा रही है। दुर्घटनाओं पर शिकंजा कसने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है।
-शंकरजी सिंह, एआरटीओ