बैग मेकर से मिली समूह की महिलाओं को नई पहचान

लवकुश यादव कसेंदा लोगों का हुनर उसे बुलंदिओं की उंचाई तक ले जाता है। जिसके माध्यम

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 10:08 PM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 10:08 PM (IST)
बैग मेकर से मिली समूह की महिलाओं को नई पहचान
बैग मेकर से मिली समूह की महिलाओं को नई पहचान

लवकुश यादव, कसेंदा : लोगों का हुनर उसे बुलंदिओं की उंचाई तक ले जाता है। जिसके माध्यम से व्यक्ति गांव व छोटे कस्बे से बड़े शहरों व विदेशों में अपनी नई पहचान बनाता है। इसी तरह महिलाओं के एक समूह का हुनर कुछ ऐसे ही लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दिन रात मेहनत कर रहा है। प्रयागराज कौशांबी सीमा से जुड़े कादिलपुर गांव में महिलाओं का एक समूह बैग मेकिंग का काम कर रहा है। अब उनके बनाए बैग मांग बढ़ने लगी है। कई जिलों से उनके पास ऑडर आ रहे हैं। इससे हो रही कमाई से समूह से जुड़ी महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी संवार रही है। - समूह की महिलाओं के साथ मिलकर एकत्रित किए रुपये

कौशांबी प्रयागराज की सीमा से जुड़े कादिलपुर गांव में करीब एक साल पहले एनआरएलएम योजना से जुड़े कर्मचारी आए थे। जानकारी के बाद कादिलपुर निवासी सीमा पाल गांव की महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़कर शारदा आजीविका महिला स्वयं सहायता समूह का गठन कर अध्यक्ष पद की जिम्मेंदारी संभाली और समूह से जुड़ी महिलाओं को तरक्की की राह तक पहुंचाने के लिए बैग बनाने के प्रेरित किया। साथ ही सिलाई मशीन, प्रिंटर मशीन बैग के लिए कच्चा माल आदि के लिए उन्होंने ने समूह की महिलाओं के साथ मिलकर कुछ रुपये एकत्रित किया। इसके बाद भी रुपये कम पड़े तो बैंक से समूह के नाम पर पंद्रह हजार रुपये ऋण लेकर सारी सामग्री जुटाई। और बैग बनाने का काम शुरू कर दिया। इन दिनों उनका समूह प्रयागराज चौक से कच्चा माल लाकर विभिन्न प्रकार का लेडीज पर्स व बैग बना रहा है। प्रयागराज और कौशांबी जनपद के व्यापारियों में बैग की मांग भी खूब हो रही है। लोगों अपनी पसंद से कंपनी व खुद का नाम भी छपा रहे हैं।

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प्रति बैग दो रुपये से दस रुपये तक हो रही कमाई

शारदा आजीविका महिला स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष सीमा पाल ने बताया की महिलाओं के छोटे हैंड बैग से लेकर बड़े बैग भी बनाए जाते हैं। जिसमें सिलाई नाम छपाई सहित छोटे - बड़े साइज के हिसाब से प्रति बैग पर दो रुपये से लेकर दस रुपये तक का मुनाफा होता है। घर पर मिले रोजगार से हो रही अच्छी खासी कमाई से समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। साथ ही बाकी समूह की महिलाओं में भी इनसे सीख लेकर काम करने का विचार बनाया है।

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