करारी में ताड़का वध और अहिल्या उद्धार व फुलवारी लीला का मंचन देख गदगद हुए दर्शक

करारी में आयोजित रामलीला में शनिवार की रात ताड़का वध अहिल्या उद्धार व फुलवारी लीला का मंचन किया गया। लीला देखने के लिए दर्शकों को काफी भीड़ रही। जय श्री राम के उद्धघोष से पूरा पंडाल गूंजता रहा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 09:41 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 09:41 PM (IST)
करारी में ताड़का वध और अहिल्या उद्धार व फुलवारी लीला का मंचन देख गदगद हुए दर्शक
करारी में ताड़का वध और अहिल्या उद्धार व फुलवारी लीला का मंचन देख गदगद हुए दर्शक

कौशांबी। करारी में आयोजित रामलीला में शनिवार की रात ताड़का वध, अहिल्या उद्धार व फुलवारी लीला का मंचन किया गया। लीला देखने के लिए दर्शकों को काफी भीड़ रही। जय श्री राम के उद्धघोष से पूरा पंडाल गूंजता रहा।

लीला प्रसंगों के मुताबिक विश्वामित्र यज्ञ की रक्षा के लिए राम लक्ष्मण को लेकर आश्रम में पहुंचते हैं। यज्ञ शुरू होते ही राक्षसों ने विघ्न डालने का प्रयास किया। ताड़का सहित कई राक्षसों का वध कर श्री राम निर्विघ्न यज्ञ सम्पन्न कराते हैं। इसके बाद धनुष यज्ञ में भाग लेने विश्वामित्र के साथ श्रीराम वन में गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार करते हैं। जनकपुरी में राम-लक्ष्मण नगर भ्रमण करते हैं। दूसरे दिन गुरु विश्वामित्र की पूजा के लिए पुष्प लेने वाटिका जाते हैं। उधर सीता माता पार्वती की पूजा करने के लिए जाती हैं। वही श्रीराम व सीता की मुलाकात होती है। इस मौके पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष संजय जयसवाल, महामंत्री राकेश जायसवाल, संजीत मोदनवाल, कोषाध्यक्ष बृजेश अग्रहरि, मंच प्रबंधक कल्लू राम चौरसिया, रामलीला कमेटी प्रबंधक ज्ञानू शर्मा आदि मौजूद रहे।

विश्व मोहिनी का रूप धर भगवान विष्णु ने भंग किया नारद का मोह

सिराथू विकास खंड क्षेत्र के उदहिन बुजुर्ग बाजार में चल रही रामलीला के पहले दिन भगवान विष्णु ने विश्व मोहिनी का रूप धारण कर देवर्षि नारद के मोह को भंग किया।

उदहिन बाजार में 10 दिवसीय रामलीला का शुभारंभ रविवार की शाम विधि विधान से पूजा-पाठ के बाद हुआ। पहले दिन के लिए लीला में नारद मोह का मंचन किया। जिसमें देवर्षि नारद को कामदेव को जीतने का अभिमान हो गया था। वह सभी लोकों में जाकर काम देव को जीतने की बात कर रहे थे। भगवान विष्णु ने इसकी परीक्षा लेने की सोची। उन्होंने एक नगर और वहां विश्व मोहिनी की रचना की। जिसको देखकर देवर्षि नारद मोहित हो गई और पत्नी के रूप में पाने के लिए भगवान विष्णु के पास जाकर अपना रूप देने के लिए कहा। इस पर भगवान ने वानर का रूप दे दिया। जिसे लेकर देवर्षि नारद विश्व मोहिनी के स्वयंवर में पहुंचे। इस दौरान शंकरजी के दो गण उन्हें देखकर उपहास करने लगे। जिस पर उन्होंने राक्षस होने का श्राप दे दिया। इस दौरान विश्व मोहिनी को स्वयंवर में भगवान विष्णु ने जीत लिया। क्रोधित देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु को भी श्राप दे दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने नारद जी को उनके मुंह को बंदर का करने के पीछे की कथा सुनाई। कथा सुन नारद आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने भगवान से इस अपराध के लिये क्षमा मांगी। मंचन के बाद भगवान श्रीराम की भव्य आरती हुई। इस मौके पर आयोजक अजय कुमार सोनी समेत तमाम दर्शक मौजूद रहे।

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