कोरोना पर भारी पड़ी श्रद्धा की डुबकी

कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का हिदू धर्म मे विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और इस दिन गाय भेड़ घी का दान करने से ग्रहयोग के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसे देखते हुए सोमवार को जिले के कुबरी घाट हनुमान घाट संदीपन घाट फतेहपुर घाट बाजार घाट कलेश्वर घाट असदपुर समेत तमाम घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 09:53 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 09:53 PM (IST)
कोरोना पर भारी पड़ी श्रद्धा की डुबकी
कोरोना पर भारी पड़ी श्रद्धा की डुबकी

कड़ा : कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का हिदू धर्म मे विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और इस दिन गाय, भेड़, घी, का दान करने से ग्रहयोग के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसे देखते हुए सोमवार को जिले के कुबरी घाट, हनुमान घाट, संदीपन घाट, फतेहपुर घाट, बाजार घाट, कलेश्वर घाट, असदपुर समेत तमाम घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया।

पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता दीपावली का पर्व भी मनाते हैं। इसलिए इसे देव दीपावली भी कहा जाता है। पुराणों में यह भी जिक्र है कि कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर भगवान ने धर्म वेदों की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था और भगवान शिव ने त्रिपुरा सुर का वध किया था। इसके उपलक्ष्य मे यह कार्तिक पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग भगवान हरि की भी उपासना करते हैं। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रीहरि की सच्चे मन से पूजा-पाठ करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और सुख की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर की दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर 30 नवंबर को दोपहर दो बजकर 59 मिनट पर समाप्त हुई। इसलिए लोगों ने दोपहर तक गंगा स्नान कर पुण्य लाभ कमाया।

पानी निकासी की व्यवस्था न होने से रास्ते पर जलभराव

कसेंदा : विकास खंड नेवादा के मखऊपुर गांव के पश्चिम दिशा में बने मुख्य मार्ग पर नाली नहीं बनाई गई है। इसके कारण लोगों के घरों से निकलने वाला दूषित पानी रास्ते में भरा रहता है। जलभराव के कारण मच्छरों की समस्या से लोग परेशान हैं। लोगों को हमेशा बीमारी फैलने की चिंता सताती रहती है। कई बार शिकायत करने पर भी प्रधान और सचिव इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इससे लोगों में जबर्दस्त आक्रोश है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जल निकासी व साफ-सफाई को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए नाली खड़ंजा आदि पर लाखों रुपये खर्च भी किए जा चुका हैं। उसके बाद भी जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते लोगों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। नेवादा विकास खंड के मखऊपुर गांव में इन दिनों लोगों का रास्ते से निकलना दूभर है। गांव के अमन दिवाकर, गब्बर, सुनील कुमार, शिवकुमार, अरुण कुमार, गोरेलाल, नीलकमल शर्मा, शिवशंकर यादव व आरती आदि ने बताया की गांव के पश्चिम दिशा में बने मुख्य मार्ग पर नाली नहीं बनाई गई है। इससे लोगों के घरों से निकला दूषित पानी रास्ते पर भरा रहता है। रास्ते पर जल जमाव से जहां मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है। वहीं पानी भरे रहने से रास्ते का खड़ंजा भी धंस गया है। इस पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं, जिससे यहां से गुजरने वाले पैदल व साइकिल सवार गिर कर घायल भी हो रहे हैं। इस परेशानी को लेकर ग्रामीणों ने कई बार ग्राम प्रधान व सचिव को जानकारी दी गई, लेकिन उनकी ओर से कोई पहल नहीं हुई। गांव के लोग अब इसे लेकर विरोध पर आमादा हैं। ग्राम प्रधान अकबरी बेगम का कहना है की जिला पंचायत ने खड़ंजा लगवाया था। वह अब उखड़ गया है। जल्द ही इसकी मरम्मत कराई जाएगी।

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