बयान से मुकरी पीड़िता, तीन आरोपित दोषमुक्त

न्यायालय में पूर्व में पीड़िता के पिता की रिपोर्ट को झूठी बताया है। वहीं दूसरे मामले में पुलिस ने पीड़िता से बिना बयान के चार्जशीट दाखिल कर दी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Nov 2020 05:43 AM (IST) Updated:Mon, 09 Nov 2020 05:43 AM (IST)
बयान से मुकरी पीड़िता, तीन आरोपित दोषमुक्त
बयान से मुकरी पीड़िता, तीन आरोपित दोषमुक्त

कासगंज, संवाद सहयोगी। न्यायालय में पूर्व में दर्ज कराए गए कलमबंद बयान से पीड़िता मुकर गई। इतना ही नहीं अपने पिता द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट को भी उसने झूठा बता दिया। प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर न्यायालय ने दुष्कर्म के तीन आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया।

घटना ढोलना थाना क्षेत्र के गांव की है। गांव निवासी एक व्यक्ति ने क्षेत्र के ही गांव नौगवां निवासी चंद्रपाल, किशनस्वरूप और कमल सिंह सहित पांच लोगों के विरुद्ध अपनी नाबालिग बेटी को बहला फुसलाकर भगा ले जाने की प्राथमिक 22 दिसंबर 2013 को दर्ज कराई थी। पुलिस ने पीड़िता को बरामद कर उसके न्यायालय में कलम बंद बयान दर्ज कराए तथा मामले की विवेचना करते हुए संबंधित विवेचक ने चंद्रपाल, किशनस्वरूप और कमल सिंह के खिलाफ पीड़िता को बहला फुसलाकर ले जाने एवं दुष्कर्म से संबंधित धाराओं के तहत न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किया। साक्ष्य के दौरान पीड़िता न्यायालय के समक्ष अपने पूर्व में दिए गए कलम बंद बयान से मुकर गई तथा उसने बताया कि वह मां से हुई कहासुनी से नाराज हो अपनी मौसी के यहां चली गई थी। पिता ने लोगों के उकसाने पर प्राथमिकी दर्ज करा दी थी, जो मैने कलम बंद बयान दिया था वह पुलिस के दबाव में दिया था। मेरे साथ किसी ने गलत काम नहीं किया। वहीं, आरोपितों की ओर पैरवी करते हुए कैलाश चंद्र शर्मा एडवोकेट ने कहा कि पीड़िता ने अभियोजन कथन का समर्थन नहीं किया है। इसके अलावा अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य में भिन्नता एवं विरोधभाष है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के उपरांत उपलब्ध साक्ष्य को अपर्याप्त पाते हुए विशेष न्यायाधीश ने आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया। बयान दर्ज कराए बिना पुलिस ने कोर्ट में दी चार्जशीट

घर में घुसकर की गई मारपीट एवं छेड़छाड़ के मामले में पुलिस ने पीड़िता का कलम बंद बयान दर्ज कराए बिना ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। पीड़िता द्वारा की गई आपत्ति को न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए मामले की सुनवाई के लिए 27 नवंबर की तारखी नियत की है। गंजडुंडवारा के एक गांव निवासी अुनसूचित जाति की महिला की फरियाद पर न्यायालय के आदेश से थाना पुलिस ने गांव के चार लोगों के खिलाफ घर में घुसकर महिला से की गई मारपीट एवं छेड़छाड़, भय व्याप्त करने की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा तो दर्ज कर लिया, लेकिन पीड़िता महिला का कोर्ट में कलम बंद बयान दर्ज कराए बिना ही दो लोगों के विरुद्ध जान से मारने की धमकी एवं जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने की मामूली धाराओं के तहत चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। पीड़िता ने न्यायालय में अपने अधिवक्ता द्वारा पुलिस की कार्य प्रणाली पर गंभीर आरोप लगाते हुए कड़ी आपत्ति जताई। वहीं मामले को संज्ञान में लेते हुए विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट ने आरोपितों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने एवं प्रकरण की सुनवाई के लिए 27 नवंबर की तिथि नियत की है।

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