फहर रही थीं तिरंगी झंडियां, महकी थीं फूलों की लड़ियां
कासगंज संवाद सहयोगी गणतंत्र दिवस वो दिवस जब भारतीय संविधान लागू हुआ था।
कासगंज, संवाद सहयोगी: गणतंत्र दिवस, वो दिवस जब भारतीय संविधान लागू हुआ था। अब तक याद है वो दिन। पूरे शहर में पतंगी कागज की तिरंगी झंडियां फहर रही थीं। बाजार- प्रतिष्ठानों को फूलों की लड़ियों से सजाया गया था। इन लड़ियों की खुशबू आजादी की खुशी का आभास करा रही थी। जगह-जगह लड्डू बांटने की होड़ लगी थी। देशभक्ति के गीत गाए रहे थे।
शहर के लक्ष्मीनगर निवासी रामेश्वर प्रसाद वर्मा अब करीब 96 वर्ष के हैं। पहले गणतंत्र दिवस के माहौल का जिक्र करते-करते उनकी बूढ़ी आंखों में चमक आ गई। बताया कि उस समय उनकी 25 वर्ष रही होगी। वह खाद्य विभाग में इंस्पेक्टर थे। 26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस मनाया गया। उस दिन स्कूल, कालेज, कार्यालय सब में छुट्टी थी। शहर को पतंगी कागज की तिरंगा झंडियों और गेंदा के फूलों की लड़ियों से सजाया गया था।
रामेश्वर प्रसाद वर्मा की बात जारी थी। बताया कि तब आजादी के लड़ाई में शामिल रहे स्थानीय कांग्रेस नेता मानपाल, माया देवी, प्रेमवती, विद्या देवी, सीताराम रामस्वरूप आदि की अगुवाई में जुलूस निकाले गए थे। रेलवे स्टेशन और ट्रेन के इंजन को फूलों से सजाया गया था। पटाखे भी चले थे। खुशी का तो ठिकाना नहीं था। जगह-जगह बूंदी के लड्डू बांटे गए थे। कई हलवाइयों ने तो मुफ्त में ही लड्डू बांटे थे। वह बताते है कि गणतंत्र दिवस पर तो नहीं, लेकिन आजादी के लिए एक गीत महिलाएं बहुत गाती थीं-
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