कोरोना के खिलाफ जनता क‌र्फ्यू में अभूतपूर्व थी बंदी

लोगों ने खुद व्यवस्थाएं ठप कर ली थी। सड़कों पर सन्नाटा पसरा था और घरों में मौजमस्ती थी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Mar 2021 05:37 AM (IST) Updated:Mon, 22 Mar 2021 05:37 AM (IST)
कोरोना के खिलाफ जनता क‌र्फ्यू में अभूतपूर्व थी बंदी
कोरोना के खिलाफ जनता क‌र्फ्यू में अभूतपूर्व थी बंदी

संवाद सहयोगी, कासगंज : बीते वर्ष 22 मार्च को कोरोना के विरुद्ध भूतपूर्व जनता क‌र्फ्यू था। लोग घरों से नहीं निकले। खुदवाखुद व्यवस्थाएं ठप कर ली थीं। सड़कों पर सन्नाटा पसरा था। घरों में मौजमस्ती हो रही थी। दूध और जरूरत की वस्तुओं की आपूर्ति थी। अन्य सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह ठप हो गई थी।

21 मार्च की रात आठ बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कोरोना के विरुद्ध लोगों से जनता क‌र्फ्यू का आह्वान किया था, जिसका नजारा 22 मार्च की सुबह देखने को मिला। खुदवाखुद लोगों ने सारी व्यवस्थाएं ठप कर ली थीं। बाजार पूरी तरह ठप थे। सड़क और गली-कूंचों में सन्नाटा पसरा था। घरों में कैद लोग टीवी पर देशभर का नजारा देख रहे थे। मौजमस्ती थी। मोबाइल फोन से लोग एक-दूसरे के हाल जान रहे थे। जनता क‌र्फ्यू को कायम करने के लिए पुलिस प्रशासन को भी मशक्कत नहीं करनी पड़ी थी।

शाम पांच बजते ही बजने लगी थीं तालियां और थालियां

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जहां जनता क‌र्फ्यू का आह्वान किया था, वहीं लोगों से अपील की थी कि शाम पांच बजे अपने घरों की छतों, बालकोनियों और दरवाजे पर एकत्रित होकर कोरोना को भगाने के लिए ताली व थाली बजाएं। पांच बजे ही शहर के गली मुहल्लों में ताली, थाली और घंटों का शोरगुल तथा शंखों की आवाज गूंजने लगी थी। इतना ही नहीं मुस्लिम समाज के लोगों ने भी ताली और थाली बजाई। फंस गए थे यात्री लोगों ने की थी मदद जनता क‌र्फ्यू को लेकर तमाम लोग अनभिज्ञ थे। दूरदराज से कासगंज पहुंचे लोग फंस गए थे। आने-जाने का कोई साधन नहीं था। डग्गेमार वाहन और निगम की बसें पूरी तरह बंद थीं। ट्रेनें भी नहीं चली थीं, फंसे यात्री मुश्किल में थे तो पुलिसकर्मी उनकी मदद के लिए आगे आए। दूरदराज के लोगों को रहने की व्यवस्था की गई। धर्मशालाओं में ठहराया गया। समाजसेवियों ने उनके पास खाना भी पहुंचाया। हमारा घर शहर के मुख्य बाजार नदरई गेट मे है। ऐसी बंदी कभी नहीं देखी। बाजारों में सन्नाटा पसरा था। पुलिस और प्रशासन की गाड़ियों ही दिखाई दे रही थीं।

मनोज तोषनीवाल, कारोबारी जनता क‌र्फ्यू का यह दिन हमेशा याद रहेगा। कोरोना का कोई भय नहीं था, लेकिन यह पहला मौका था जब सारे दिन परिवार के साथ रहने का मौका मिला।

सीताराम दुबे, सोरों

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