कार से उतरते ही हाथ में उठाए फावड़े-तसले
ब्रांडेड कपड़े भी नहीं रोक पाए श्रमदान का जज्बा पहले हिचकिचाहट फिर नया अनुभव तो जागा उत्साह
कासगंज, जागरण संवाददाता : वक्त सुबह साढ़े सात बजे। उद्घाटन स्थल से ढाई किलो मीटर आगे वसूपुरा की पुलिया। एक तरफ मजदूर काम कर रहे हैं वहीं एसडीएम अशोक कुमार और बीएसए अंजली अग्रवाल भी फावड़ा चला रही हैं। हालांकि कुछ देर बाद इनके फावड़े स्टाफ ने ले लिए। इसी दौरान यूपी सरकार लिखी एक और गाड़ी पहुंचती है। प्रोबेशन विभाग की कुछ महिला कर्मचारी एवं स्टाफ उतरता है। नजर दो खेत दूर फावड़ों पर पड़ती है। महिलाओं को पहले कुछ हिचकिचाहट होती है, लेकिन जब पुरुष साथियों ने फावड़े उठाए तो महिलाएं भी तसला उठा चल पड़ता हैं श्रमदान को।
यहीं पर बूढ़ी गंगा में एक तरफ मजदूर काम कर रहे हैं तो दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के कर्मचारी। बाबू राजित यादव हों या फिर वेतन का हिसाब लगाने वाले दिनेश कुमार साहू। सबके हाथ में फावड़े हैं। कंप्यूटर पर दिन-रात फीडिग करने वाले सुनील भी फावड़ा चला रहे हैं कुछ गंगा में योगदान का जच्बा है तो कुछ अफसरों के सामने होने का जोश भी। अफसरों के पास पहुंच कर प्रोबेशन विभाग की कर्मचारी देरी के लिए कुछ हिचकिचाहट से अभिवादन करती हैं फिर काम में जुट जाती हैं। दस बजे तक चलने वाले काम में मजदूरों के फावड़े तो अनवरत चले, लेकिन दफ्तरों में बैठने वाले कर्मचारियों का थकना लाजिमी था। थकान पर कुछ देर इधर-उधर टहलते, लेकिन फिर से श्रमदान का जच्बा इन्हें मजदूरों के बीच खींच ले आता। सूटेड-बूटेड और महंगे चश्मे लगाने वाले कर्मियों को साथ में काम करते देख मजदूरों का जच्बा भी दोगुना हो जाता। पड़ोस के गांव से आए सत्यपाल कहते हैं कि सालों हो गए मजदूरी करते-करते, लेकिन ऐसा नजारा पहली बार देखने को मिला है, जब साहब लोग भी हमारे साथ घंटों से खड़े हैं। भले ही कुछ देर बाद फावड़ा छोड़ देते हैं, लेकिन हौसला तो बढ़ा ही रहे हैं।
लेखपाल लेते रहे सेल्फी :
हर प्वाइंट पर काम चल रहा था, लेकिन सहावर में पुलिया पर कुछ लेखपाल फावड़ा उठाने से कतराते नजर आए। यह यहां पर सिर्फ अपनी सेल्फी लेने में व्यस्त रहे तो कुछ शिक्षिकाएं भी बस कुर्सी पर बैठी रहीं। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या काफी कम थी।
मौसम भी रहा मेहरबान :
संयोग कहें या फिर प्राचीन विरासत को सहेजने वालों पर कुदरत की मेहरबानी। बुधवार को तल्ख धूप नदारद थी तो फावड़ा चलाते-चलाते मजदूर और कर्मचारियों पर जब नौ बजे करीब थकान हावी होने लगी तो आसमान से बरसती छिटपुट बूंदे उत्साह बढ़ाती दिखीं।