नई शराब नीति माफियाओं के लिए नहीं बनी चुनौती

कासगंज संवाद सहयोगी नई शराब नीति लागू करने के बाद से माना जा रहा था कि अब शराब माफियाओं पर अंकुश लगेगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Jun 2021 05:11 AM (IST) Updated:Wed, 02 Jun 2021 05:11 AM (IST)
नई शराब नीति माफियाओं के लिए नहीं बनी चुनौती
नई शराब नीति माफियाओं के लिए नहीं बनी चुनौती

कासगंज, संवाद सहयोगी : नई शराब नीति लागू करने के बाद से माना जा रहा था कि अब शराब माफियाओं पर अंकुश लगेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिले में सरकार की इस नीति को भी कारोबारियों ने धता बता दिया। सगे संबंधियों के नाम दुकानें हासिल करने में कामयाब हो गए।

जिले की कई दुकान ऐसी हैं जो मुख्य शराब कारोबारी के स्वजन एवं रिश्तेदारों के नाम हैं। अनुज्ञापी तो कोई और है, लेकिन इस दुकान का मुखिया वास्तविकता में कोई और ही है। नई शराब नीति में नियम था कि सीमित दुकानें ही एक कारोबारी को दी जा सकेंगी। कुछ माफिया इस नीति को तोड़ने के लिए अपनी नीति तैयार कर चुके हैं। इस कारोबार से जुड़े लोग काफी रसूखदार हैं। कहीं न कहीं उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। तभी तो अवैध शराब बनाने वालों पर अभी तक जिले में कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है। इस पूरे खेल के लिए सिर्फ राजनीतिक संरक्षण ही नहीं बल्कि पैसे के बल पर आबकारी विभाग की मिली भगत भी जिम्मेदार है। ऐसे में नई शराब नीति वास्तविकता में कोई प्रभाव नहीं दिखा सकी है। दूसरे शहर के कारोबारियों के नाम भी हैं दुकानें

ऐसा नहीं कि सिर्फ स्थानीय लोगों के नाम ही जिले की दुकानें हो, बल्कि आसपास के जिलों के कुछ लोगों के नाम से भी जिले में अंग्रेजी, देसी और बीयर की दुकानें हैं। सूत्रों की माने तो बुलंदशहर, अलीगढ़, बदायूं के रहने वाले इन कारोबारियों ने स्थानीय कारोबारियों से एक मोटी रकम लेकर दुकानें उनके हवाले कर दी हैं। वहीं स्थानीय कारोबारी दूसरें जिलें में भी दुकानों के मालिक हैं। निर्धारित समय के बाद भी बिकती है शराब

सरकार ने शराब बिक्री के लिए समय निर्धारित कर दिया है। लेकिन शराब के शौकीनों को निर्धारित समय के बाद भी आसानी से शराब उपलब्ध हो जाती है। शराब के ठेकों के आसपास कुछ लोग निर्धारित मूल्य से अधिक रुपये लेकर कालाबाजारी करते हैं। ऐसे लोगों से शराब लेना जान जोखिम में डालना है।

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