पहली बार गंगा दशहरा पर सूने रहेंगे घाट

जागरण संवाददाता कासगंज गंगा की धार निर्मल है। सोरों का लहरा घाट हो या फिर गंजडुंड

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 11:39 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 06:07 AM (IST)
पहली बार गंगा दशहरा पर सूने रहेंगे घाट
पहली बार गंगा दशहरा पर सूने रहेंगे घाट

जागरण संवाददाता, कासगंज : गंगा की धार निर्मल है। सोरों का लहरा घाट हो या फिर गंजडुंडवारा का कादरगंज घाट। जिले के विभिन्न गांवों से गुजरने वाली गंगा सदैव से आस्था का केंद्र रही है। राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश के श्रद्धालु बहुतायत में यहां पर आते हैं तो अन्य प्रदेशों से आने वाले भी कम नहीं, लेकिन पहली बार ऐसा होगा कि गंगा दशहरा पर भी गंगा घाट सूने रहेंगे।

दशकों की नहीं, बल्कि शताब्दियों की बात करें तो कभी ऐसा नहीं हुआ कि गंगा दशहरा पर इन घाटों पर स्नान न हुआ है। देश में चाहे कोई आपदा आई हो। कोई विपत्ति हो या फिर हालात कितने ही विपरीत। गंगा घाट पर कभी श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं टूटी। आपदा से लेकर विपत्ति का काल हो। श्रद्धालु मां की गोद में आकर सब कुछ कुशल होने की दुआ मांगते रहे हैं, लेकिन यह पहला संकट है, जिससे बचने के लिए लोगों को गंगा स्नान से भी दूरी बनानी पड़ रही है।

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कई लोगों ने स्थगित किए प्रोग्राम :

लॉकडाउन फोर में मिली छूट को देखते हुए कई लोगों ने गंगा स्नान का प्रोग्राम बनाया था। पड़़ोसी जिलों के कई लोगों ने तो गाड़ी भी बुक कर ली थी, लेकिन प्रशासन की सख्ती को देख कर इन्होंने भी अपने प्रोग्राम स्थगित कर दिए।

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मुगल काल में भी नहीं रुका था गंगा स्नान :

जानकारों की मानें तो मुगल काल में भी गंगा स्नान की परंपरा नहीं रुकी थी। उस दौर में भी राजस्थान एवं मध्य प्रदेश से लोग आते थे। गंगा समग्र समिति के प्रो.राधाकृष्ण दीक्षित बताते हैं राजा अपनी सेना के साथ मे आते थे। जिनको मार्ग में मुगल शासकों द्वारा रोका जाता था। इस पर संघर्ष भी होता था, लेकिन इसके बाद भी यह यहां पर आते थे। इस बार संघर्ष एक वायरस से है, जिसके लिए शारीरिक दूरी ही सबसे बड़ा उपाय है।

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