घर के बाहर गंगा की दस्तक, फिर भी बेखौफ जिदगी
गंगा नदी में बाढ़ तटवर्ती गांवों के ग्रामीणों में दिखा हौसला एवं जज्बा कोई कमर तक पानी में ले जा रहा था पशुओं को चराने
कासगंज, जागरण संवाददाता। गंगा का बढ़ता जल स्तर गुरुवार शाम तक कइयों की धड़कनें बढ़ाता रहा। अधिकारियों से लेकर कर्मचारी भी रात भर पानी के स्तर पर नजरें जमाए रहे तो दूसरी तरफ गंगा किनारे रहने वाले ग्रामीणों का हौसला है। गंगा घर के दरवाजे से चंद कदम की दूरी पर दस्तक दे रही है, मगर इनकी जिदगानी बदस्तूर जारी है। खेतों में गंगा के पानी को चीरते हुए कोई पशुओं को चराने जा रहा है तो कोई कमर तक पानी में भूसा ढो रहा है।
बीते तीन दिन से गंगा के जल स्तर को लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। ग्रामीणों को हर मुसीबत से बचाने के लिए इंतजाम किए हैं, लेकिन गंगा के तटवर्ती गांवों में रहने वालों में गंगा के बढ़ते पानी को लेकर चिता तो नजर आई, लेकिन काम पर कोई फर्क नहीं पड़ा। दैनिक जागरण की टीम ने शनिवार को सुन्नगढ़ी क्षेत्र का जायजा लिया तो पवनपुरा से ही गंगा नदी का प्रकोप दिखना शुरू हो गया। पवनपुरा में गंगा का पानी तेज रफ्तार से घरों के सामने मैदान में बढ़ रहा था तो दूसरी तरफ रामदीन पशुओं को लेकर पानी के बीच खेतों की ही तरफ जा रहे थे। इसके आगे चलने पर गंगा की तरफ किसौल पर भी यही स्थिति थी। गांव के दर्जनों घरों की दीवारों से गंगा का पानी एक-दो कदम की दूरी पर था। रामलड़ेते, गेंदालाल, रामकिशोर, जयपाल के घर में पानी घुस रहा था, लेकिन गांव की जिदगानी बदस्तूर जारी थी। गंगा के इस प्रकोप के बीच भी ग्रामीण गांव में गोवंश की सुरक्षा को लेकर चिता जता रहे थे। आगे चलने पर गंगा की तरफ जाने वाला रास्ता जलमग्न हो गया था। मिहोला गांव में गंगा का बंधा टूटने से पानी खेतों की तरफ दौड़ रहा था। ग्रामीण गांव के बाहर जमा थे, लेकिन इस सबके बीचे कई किसान खेतों से भूसा सिर पर लाद कर कमर तक पानी से घर जाते हुए दिखाई दे रहे थे। इनका कहना था गंगा को तो रोक नहीं सकते हैं तो अपना काम क्यों रोकें?
कमर तक पानी में उछल कूद मचाते युवा : गंगा के किनारे के गांवों में हाल यह था कि गांवों के एक तरफ कमर तक पानी भरा हुआ था, लेकिन युवा इसमें भी उछल-कूद मचा रहे थे।
सड़क के एक तरफ दूर तक सिर्फ पानी : किसौल से आगे सुन्नगढ़ी की तरफ बढ़ें तो सड़क पर बांयी तरफ जहां तक नजर दौड़ाने पर सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा था। कहीं गन्ने की फसल पानी में जलमग्न थी तो गंगा की तरफ जाने वाले हर रास्ते पानी से भर चुके थे।