आग बुझाने वाले अब कोरोना कोरोना फाइर्ट्स
जागरण संवाददाता कासगंज वो असली योद्धा हैं जो आबादी के बीच में रहते हुए लोगों की रक्षा क
जागरण संवाददाता, कासगंज : वो असली योद्धा हैं जो आबादी के बीच में रहते हुए लोगों की रक्षा की खातिर खुद की जान जोखिम में डालते हैं। हम बात कर रहे हैं अग्निशमन विभाग के उन कर्मचारियों की, जो धधकते शोलों के बीच में लोगों को बचाने का काम करते हैं। दमघोटूं धुएं में भी आग पर काबू पाने के लिए कूद पड़ते हैं। इन दिनों यह कोरोना फाइटर्स की भूमिका में भी हैं। हॉटस्पॉट क्षेत्र हो या फिर अन्य रेड जोन। सैनिटाइजर का जिम्मा इन्होंने संभाल रखा है। -------- नहा नहीं लेते हैं, तब तक रहते परेशान : रविवार सुबह अग्निशमन दफ्तर पहुंचने पर कुछ सिपाही खाना खा रहे थे। सैनिटाइजर की बात छिड़ते ही बोले बहुत बचाव करना पड़ता है। इसमें एसिड होता है लिहाजा खुद पर न गिरे, यह भी ध्यान रखते हैं। गंध से सिर दर्द करने लगता है। सैनिटाइजर करने के बाद पहले आकर नहाते हैं, तब कुछ आराम मिलता है। हर पल होता है जोखिम 'बिलराम गेट चौराहा पर चार मंजिला इमारत में आग लगी थी। सामान इस तरह भरा था कि कुछ समझ नहीं आ रहा था। बड़ा गेट भी नहीं खुल पा रहा था। छोटा गेट खोलकर किसी तरह से अंदर घुसे तो हर तरफ धुआं। गेट के पीछे से सामान हटाकर किसी तरह गेट खोला। पूरी बि¨ल्डग में धुआं ही धुआं था।' -देवेंद्र पाल ¨सह,फायरकर्मी 'जुलाई 2017 की बीत है। लखनऊ में ¨कग जार्ज मेडिकल कॉलेज में आग लगी हुई थी। शॉर्ट सर्किट का खतरा था इधर दवाएं जल रही थी। ऑक्सीजन सि¨लडर वहां से निकालने थे ताकि आग न बढ़ जाए। दवाओं के धुएं से मास्क एवं चेहरा भी काला हो गया था।' -सिद्धार्थ रोंसा, फायरकर्मी 'दो वर्ष पहले सोरों में एक कैमिकल से भरे टैंकर में आग लगी थी। हर वक्त टैंकर के फटने का डर था। पहले लोगों को वहां से दूर किया, इसके बाद में आग बुझाते वक्त हर वक्त यही लग रहा था कहीं सि¨लडर फट न जाए, लेकिन हमने उस पर काबू पा लिया।' -सुरेंद्र कुमार, फायरकर्मी