फूलों की खुशबू से किसानों के जीवन में आई खुशियां

कासगंज संवाद सहयोगी जिले में कई किसानों ने परंपरागत खेती छोड़कर गुलाब और गेंदा के फूल की खेती को अपनाया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 05:10 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 05:10 AM (IST)
फूलों की खुशबू से किसानों के जीवन में आई खुशियां
फूलों की खुशबू से किसानों के जीवन में आई खुशियां

कासगंज, संवाद सहयोगी : जिले में कई किसानों ने परंपरागत खेती छोड़कर गुलाब और गेंदा के फूल की खेती को अपनाया है। बीते कई वर्षों से यह किसान केवल फूलों की खेती कर रहे हैं। इन किसानों से प्रेरित होकर कई अन्य किसानों का भी फूलों की खेती की ओर रुझान बढ़ा है। उद्यान विभाग भी फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहन योजना चला रहा है। इसके लिए किसानों को अनुदान दिया जाता है।

लगभग बीते कई वर्षों से तमाम किसान परंपरागत फसलों को छोड़कर अन्य फसलों की ओर आकर्षित हुए हैं। इनमें फूल की खेती भी शामिल है। परंपरागत फसलों से कहीं अधिक लाभ पाने के लिए अपनाई गई इस खेती का प्रयोग सार्थक सिद्ध हुआ है। इसके परिणाम स्वरूप अन्य किसान भी परंपरागत खेती को छोड़कर फूलों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिले में प्रतिवर्ष फूलों की खेती का रकवा बढ़ रहा है। जो किसान लंबे समय से इस खेती को कर रहे हैं, वह अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। इन किसानों से प्रेरित होकर जिले के दर्जनभर से अधिक किसानों ने फूलों की खेती शुरू कर दी है। भले ही उनका रकवा कम है। आंकड़ों की नजर में

- जिले में फूल की खेती का रकवा : 150 हेक्टेयर

- गुलाब के फूल का रकवा : 40 हेक्टेयर

- गेंदा के फूल का रकवा : 110 हेक्टेयर माली मित्र से फूलों की खेती का सुझाव मिला था। फिर इसके बारे में अध्ययन किया। विशेषज्ञों से जानकारी ली। पहले आधे हेक्टेयर में गुलाब की पौध लगाई लगभग दो वर्ष में तैयार हुई और सात से आठ वर्ष तक इससे फूल मिलता है। अच्छी आमदनी होती है। सीजन में तो अच्छा मुनाफा मिलता है अब इसका रकवा बढ़ाकर दो हेक्टेयर कर दिया है।

- तारा चंद्र, किसान तीन एकड़ में गेंदा की खेती कर रहा हूं। गेहूं की फसल से भी अधिक आय फूल की फसल से होती है। झंझट भी कम है। एक बीघा में एक वर्ष में 30 से 35 कुंतल फूल तैयार हो जाता है। सप्ताह में एक दिन निकासी करता हूं। लोकल मंडी में बिक जाता है, कहीं बाहर नहीं ले जाना पड़ता।

- डाल चंद्र, किसान जिले में बड़े किसान अभी इससे नहीं जुड़े हैं। छोटे-छोटे रकबा हैं। उद्यान विभाग द्वारा अनुदान दिया जाता है। छोटे किसानों को 16 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, बड़े किसानों को 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर।

- आरएन वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी

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