लॉकडाउन में रोजी-रोटी छिनने पर गांव ही बना सहारा
संवाद सहयोगी भोगनीपुर महाराष्ट्र में लॉकडाउन लगने के बाद एक बार फिर लोगों का रोजी र
संवाद सहयोगी, भोगनीपुर : महाराष्ट्र में लॉकडाउन लगने के बाद एक बार फिर लोगों का रोजी रोजगार छिन गया। ऐसे में आय के स्त्रोत बंद होने से गांव से ही सहारे की उम्मीद जगी। रविवार को लोकमान्य तिलक से पुखरायां स्टेशन उतरे यात्रियों ने अपनी पीड़ा बयां की। यात्रियों ने बताया कि महाराष्ट्र के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। संक्रमण का स्तर बढ़ने से वहां एक एक पल गुजारना तकलीफदेह हो गया। रोजी रोजगार तो गया ही साथ ही जान भी जोखिम में पड़ गई। हालात सुधरने की संभावनाएं जब नहीं बचीं तो वापस लौटना पड़ा। यात्रियों का दर्द
- महाराष्ट्र के नागपुर जिले में कपड़े का व्यवसाय करने वाले तहसील क्षेत्र के चांदापुर गांव निवासी आफताक निजामी ने बताया कि वह महाराष्ट्र में अपने कई साथियों के साथ रहकर गांवों में फेरी लगाकर कपड़े बेचने का धंधा करते हैं। शाम को आकर शहर में रुक जाते है, लेकिन वहां लॉकडाउन लग जाने से सभी धंधे बंद हो गए हैं। धंधा बंद होने से हम लोग के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई थी, इसलिए मजबूरन वहां से घर लौटने के अलावा और कोई उपाय नहीं था। - तहसील क्षेत्र के बहरई गांव निवासी भारत सिंह ने बताया कि वह महाराष्ट्र के अमरावती जिले के पांडला कस्बे में रहकर कपड़े का व्यापार करता था। तीन दिन पूर्व वहां लॉकडाउन लग जाने से व्यापार धंधा बंद हो गया। होटल बंद होने से रोटी के भी लाले पड़ने लगे। मजबूरन ट्रेन से वापस घर आ गए। - बरौर थाना क्षेत्र के बहरई गांव निवासी देशराज ने बताया कि वह महाराष्ट्र में नागपुर जनपद के कांटोल कस्बा में रहकर आसपास क्षेत्र में फेरी लगाकर साड़ी बेचने का काम करता था, लेकिन महाराष्ट्र में लॉकडाउन लग जाने से पुलिस ने फेरी लगाने पर रोक लगा दी। धंधा बंद हो जाने से आमदनी ठप्प हो गई। रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न होने से उसने घर लौटना ही बेहतर समझा इसलिए एलटीटी से वापस घर आ गया। - तहसील क्षेत्र के बरवां गांव निवासी ललित कुमार ने बताया कि वह महाराष्ट्र के वर्धा जिला में एक निजी कंपनी में काम करता था। कोरोना के प्रभाव के चलते कंपनी बंद कर दी गई। लॉकडाउन के समय घर से निकलना भी मुश्किल हो गया, इसलिए वह परदेश छोड़कर घर अपने घर वापस लौट आया।