रसूलाबाद के नारदाश्रम में आज जुटेगा श्रद्धा का मेला

संवाद सहयोगी रसूलाबाद (कानपुर देहात) गुरु को ब्रह्मा से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। इस चराचर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 11:21 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 06:05 AM (IST)
रसूलाबाद के नारदाश्रम में आज जुटेगा श्रद्धा का मेला
रसूलाबाद के नारदाश्रम में आज जुटेगा श्रद्धा का मेला

संवाद सहयोगी, रसूलाबाद (कानपुर देहात): गुरु को ब्रह्मा से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। इस चराचर जगत में गुरु ही वह आधार है जिसके सहारे जीव ब्रह्मा तक पहुंच पाता है।इस परम सत्य के चलते जन्म जन्मांतर से लोगों के द्वारा गुरु करने और गुरु का पूजन करने की परंपरा शाश्वत चली आ रही है। आज आषाढ़ की इसी पूर्णमासी को गुरु पूर्णिमा पर विभिन्न आश्रमों में उत्सव का माहौल है। रसूलाबाद क्षेत्र के सुप्रसिद्ध नारदाश्रम में इस परंपरा के निर्वहन के लिए आज रविवार को श्रद्धा की बयार बह रही है।

आश्रम में आने वाले लोग ब्रह्मलीन संत नारायण स्वरूप ब्रह्मचारी व पीठाधीश्वर संत विष्णु स्वरूप ब्रह्मचारी का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। साथ ही जमदग्नि आश्रम जमथर खेड़ा, ऋषि आश्रम रसूलाबाद में भी लोग पहुंचेंगे। इस वर्ष कोरोना के कहर के चलते इन आश्रमों में नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध आश्रम कर्मचारियों ने भंडारे के स्थान पर प्रसाद वितरण की व्यवस्था की है। नारदाश्रम के पीठाधीश्वर संत विष्णु स्वरूप ब्रह्मचारी व उनके शिष्य रामू तिवारी ने बताया कि इस वर्ष भंडारे के स्थान पर मालपुआ व गुलगुला के प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई है। संत स्वरूप का पूजन-र्चन भी लोग दूर से ही कर सकेंगे। क्षेत्र के वयोवृद्ध लोगों की माने तो नारदाश्रम नाम के अनुरूप नारद ऋषि की तपोस्थली थी। यहीं ब्रह्मलीन संत नारायण स्वरूप ब्रह्मचारी ने तपस्या कर इसे पूजनीय स्थल बनाया। अन्य सभी नदियों के विपरीत आश्रम के समीप उल्टा पश्चिम की ओर बहने वाली रिद नदी के किनारे स्थित इस पावन आश्रम में प्रदेश के पूर्व राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री आकर दर्शन कर चुके हैं और यहां पर तुलसी जयंती के समय तुलसीदास की मूर्ति का अनावरण भी कर चुके हैं। इसके साथ ही आश्रम में राजनीतिक, मीडिया से जुड़े कर्मचारियों और क्षेत्रीय जनों की श्रद्धा जुड़ी हुई है। इसी प्रकार नैमिषारण्य से जुड़े ऋषि आश्रम रसूलाबाद पर भी लोग अपने गुरु नारदानंद सरस्वती का जन्मस्थल मानकर पूजन-अर्चन करते हैं। उनके पुराने शिष्यों में रहे डॉ. राजकुमार मिश्र, प्रेम सुंदरी दीक्षित आदि ने बताया कि नैमिष के पीठाधीश्वर संत रहे नारदा नंद सरस्वती का जन्म स्थान रसूलाबाद था। उनकी स्मृति में तत्समय बनाए गए ऋषि आश्रम में लोग आज भी उनके आश्रम में मौजूद संतों की उपस्थिति में चित्र का पूजन-अर्चन करते हैं।

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