कॉमन फैसलिटी सेंटर से कपड़ा उद्योग को मिलेगी गति
जागरण संवाददाता कानपुर देहात लॉकडाउन के बाद कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ है। इसके साथ
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : लॉकडाउन के बाद कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ है। इसके साथ ही केमिकल सहित अन्य कच्चे माल के दामों में हुई बढ़ोत्तरी ने उद्यमियों को नुकसान पहुंचाया है। प्रदेश में कॉमन फैसलिटी सेंटर स्थापित होने से कपड़ा उद्योग को राहत मिलेगी, जिससे नए स्टार्टअप को अवसर मिलेगा। इसके साथ ही बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर व परिवहन को लेकर सरकार को बड़े निर्णय लेने होंगे। आगामी बजट को लेकर कपड़ा उद्यमी बेहतरी की उम्मीद लगाए हैं। उद्यमियों का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्कता है। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से प्रयास हो रहे हैं। दावे भी किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत में उद्यमियों को तमाम समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। बैंकों का सहयोग न मिलने से नए स्टार्टअप तैयार नहीं हो रहे हैं। वहीं लॉकडाउन ने उद्यम को नुकसान पहुंचाया, जिससे कपड़ा उद्योग भी नहीं बचा। अब व्यापार को दोबारा वही गति देने के लिए सरकार की ओर से भी सकारात्मक पहल हो तो संजीवनी मिलेगी। बजट में टैक्स से राहत दी जाए। कपड़ा उद्योग आवश्यक वस्तुओं में आता है, जिसके लिए विशेष पैकेज सरकार को देने होंगे। इससे युवा उद्यमी तो तैयार होंगे ही वहीं पुराने संकट से उबरने का अवसर भी मिलेगा। इंसेट एमएसएमई के लिए देना होगा ध्यान आईआईए के चेयरमैन राजीव शर्मा बताते है कि लॉकडाउन में कपड़ा उद्योग को भी नुकसान हुआ है। इसके लिए सरकार को टैक्स में कुछ राहत देनी होगी। कानपुर टैक्सटाइल के लिए विशेष पहचान रखता है, लेकिन आसपास के जिलों में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार बजट में टैक्स से राहत दे। इसके साथ ही नए उद्यमी को सहारा देने के लिए मशीनों की खरीद में भी छूट दे। इससे विकास के पहिए को गति मिलेगी। इंसेट उद्यमी प्रवीन शर्मा बताते हैं कि प्रदेश में कॉमन फैसलिटी सेंटर खोलना चाहिए। इससे अत्याधुनिक मशीनें लगेगी और उद्यमियों को अन्य प्रदेश में नहीं जाना होगा। फैसलिटी सेंटर स्थापित होने से गुणवत्ता में तो सुधार होगा ही। वहीं उद्यमियों को भी राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से ऋण की सुविधा दी गई है, लेकिन जमीनी स्तर की बात करें तो बैंकों का सहयोग नहीं मिलता है। इससे नए उद्यमी तैयार नहीं हो रहे हैं। बजट में इसको लेकर सरकार को विशेष ध्यान देना होगा। इसके साथ ही जो योजनाएं चलाई जा रही हैं उनकी निगरानी के लिए भी कोई प्रावधान करना होगा।