मनरेगा में युवाओं से आगे निकले बुजुर्ग
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: बुजुर्गों की बातें ही नहीं उनकी मेहनत और हुनर में भी यु
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: बुजुर्गों की बातें ही नहीं उनकी मेहनत और हुनर में भी युवा पिछड़ गए हैं। हम बात कर रहे हैं मनरेगा की, जिसके आंकड़े बताते हैं कि जिले में मनरेगा के तहत हुए काम में 50 साल से ऊपर वाले जाब कार्ड धारकों ने युवाओं से दोगुना काम किया है। सबसे अधिक काम करने के मामले में 40 से 50 की उम्र के जाबकार्ड धारक हैं।
मनरेगा में हर उम्र के उस बेरोजगार को रोजगार दिया जाता है जो काम मांगता है। ऐसे जाबकार्ड धारक को पंचायत स्तर पर उसकी पंचायत में ही काम दिया गया। 18 साल से अधिक उम्र के हर उस पंजीकृत मजदूरों को काम मिला, जिसने अपना नाम दर्ज रजिस्टर में बुक कराया है। काम करने के आंकड़ों पर नजर डालें तो 41 से 50 साल तक की उम्र के लोगों ने लगभग 38 फीसद काम किया। 31 से 40 साल वालों ने 35 फीसद के करीब काम किया। 18 से 30 साल के युवाओं पर नजर डालें तो मात्र सात फीसद ने ही काम किया। वहीं 51 से 60 साल तक के 17 फीसद जाबकार्ड धारकों ने काम किया। इससे भी अधिक चौंकाने वाला जो तथ्य है वह यह कि 80 साल के बुजुर्गों में भी करीब छह फीसद ने काम किया।
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ब्लाकवार युवा व बुजुर्गो का काम
-अकबरपुर में युवाओं ने 6.40 फीसद, बुजुर्गो ने 18 फीसद काम किया।
-अमरौधा में युवाओं ने आठ फीसद, बुजुर्गो ने 14 फीसद काम किया।
-डेरापुर में युवाओं ने तीन फीसद, बुजुर्गो ने छह फीसद काम किया।
-झींझक में युवा दो फीसद, जबकि बुजुर्ग तीन फीसद हैं।
-मैथा में युवाओं ने 0.45 फीसद तो बुजुर्ग ने ढाई फीसद काम किया।
-मलासा में काम करने वाले 0.54 फीसद युवा तो तीन फीसद बुजुर्ग हैं।
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मनरेगा योजना में पंजीकृत मजदूर के काम मांगने पर उसे दिया जाता है, महिलाओं, बुजुर्गों व दिव्यांगों के लिए विशेष सहूलियत भी है।
महेंद्र कुमार राय, सीडीओ कानपुर देहात