शिक्षक भर्ती में घोटाला, लगी रोक
त्रिपुरेश अवस्थी, कानपुर देहात: समाज कल्याण विभाग से अनुदानित विद्यालय में नियमों को ताक पर रखक
त्रिपुरेश अवस्थी, कानपुर देहात: समाज कल्याण विभाग से अनुदानित विद्यालय में नियमों को ताक पर रखकर बीएसए ने शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करा दी। जबकि यह बीएसए अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इतना ही नहीं बीएसए ने डीएम तक को प्रक्रिया से दरकिनार कर दिया, जबकि डीएम की अध्यक्षता वाली समिति ही भर्ती करती है। सीडीओ ने इसपर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही बीएसए से स्पष्टीकरण मांगा है।
अकबरपुर शहर में महात्मा कबीर विद्यालय समाज कल्याण विभाग के विकास अनुभाग के आवर्तक निधि के अनुदान पर संचालित है। विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों के सात पद सृजित हैं। यहां तीन शिक्षकों के पद काफी समय से रिक्त हैं। इनपर भर्ती के लिए बिना डीएम के अनुमोदन के बीएसए की अनुमति से प्रबंधक की ओर से विज्ञापन प्रकाशित कराया गया। इसके बाद 21 जनवरी को साक्षात्कार भी हो गया। विभागीय लोगों का कहना है कि बीएसए संगीता सिंह ने बिना डीएम के अनुमोदन के इसकी अनुमति दी है। जबकि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। सीडीओ ने बीएसए पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है।
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बीएसए ने डीएम व अन्य उच्चाधिकारियों को बिना जानकारी दिये विज्ञापन व साक्षात्कार कराया है, जो अनाधिकृत है। पदीय दायित्वों के विपरीत घोर लापरवाही है। इस अनुशासनहीनता के लिए बीएसए से जवाब मांगा गया है।
-डॉ. महेद्र कुमार राय (सीडीओ)
यह है नियम
-समाज कल्याण अधिकारी विकास राजेश कुमार ने बताया कि शासनादेशों के अनुसार विभाग से अनुदानित स्कूल में डीएम की अध्यक्षता वाली समिति शिक्षकों की नियुक्ति करती है। समिति में बीएसए सदस्य, प्रधानाध्यापक सदस्य, जिला समाज कल्याण अधिकारी सदस्य सचिव होते हैं। इसके अलावा डीएम की ओर से अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से एक अधिकारी नामित किया जाता है। डीएम का प्रस्ताव मिलने के बाद ही समिति शिक्षक भर्ती कराती है।