सहेज लो हर बूंद : हैंडपंप संग सोक पिट बनें तो बचे पानी

जागरण संवाददाता कानपुर देहात जल संरक्षण की बात सभी कर रहे हैं लेकिन छोटे-छोटे

By JagranEdited By: Publish:Mon, 05 Apr 2021 08:35 PM (IST) Updated:Mon, 05 Apr 2021 08:35 PM (IST)
सहेज लो हर बूंद : हैंडपंप संग सोक पिट बनें तो बचे पानी
सहेज लो हर बूंद : हैंडपंप संग सोक पिट बनें तो बचे पानी

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : जल संरक्षण की बात सभी कर रहे हैं, लेकिन छोटे-छोटे प्रयास ही नहीं करना चाह रहे हैं। सरकारी व निजी हैंडपंप कई जगह लगे हैं, उनसे निकलने वाले पानी के संरक्षण के लिए सोक पिट शायद ही कहीं बने हों। इससे रोजाना न जाने कितना पानी बहकर बर्बाद हो जाता है। सोक पिट बनने से लाखों लीटर पानी बचाया जा सकता है।

हैंडपंप से जब हम पानी पीते हैं या फिर नहाते हैं तो न जाने कितना पानी नीचे गिरकर सड़क या फिर नाली में जाता है। यह पानी ऐसे ही रोजाना बर्बाद होता है। यही हाल निजी हैंडपंप का है चाहे वह घर में लगे हों या फिर गांव में। पानी जमीन पर गिरता है और उसका कोई उपयोग नहीं हो पाता है। अगर इन्हीं हैंडपंप पर सोक पिट बना दिए जाएं तो यह पानी उसमें जमा हो जाएगा और इसके जरिए पानी सीधे भूगर्भ में जाएगा। छोटे ही प्रयास से रोजाना कितना पानी संरक्षित किया जा सकता है। एक हैंडपंप से रोजाना करीब एक हजार लीटर पानी बहा दिया जाता है जो कि छह इंसानों की जरूरत भर का पानी होता है। हम अगर ऐसी जगहों पर अपने ही प्रयास से सोक पिट बनवा दें तो एक नेक काम कर सकते हैं, जिससे हमारे भूगर्भ जल का स्तर बेहतर होगा।

90 फीसद में नहीं सोक पिट

जिले में 10 ब्लॉक हैं जिनमें करीब 90 फीसद हैंडपंप में सोक पिट नहीं बना है। वहीं पांच फीसद में सोक पिट हैं तो वह भी कच्चे या फिर लोगों के प्रयास से बने हैं। जिले में सरकारी हैंडपंप की संख्या करीब 35 हजार है।

नियम पर नहीं हो रहा पालन

सरकारी हैंडपंप लगने पर सोक पिट बनाने का नियम है जो कि मनरेगा से होता है, लेकिन कागजी हेरफेर व धन निकासी के चक्कर में न पड़ने के कारण यह कहीं बनाए नहीं जा रहे हैं। ऐसा न होने से पानी की बर्बादी हो रही है।

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