सहेज लो हर बूंद : गिर रहा है भूगर्भ जलस्तर, अब न सुधरे तो होगा संकट
जागरण संवाददाता कानपुर देहात लगातार गिरते भूगर्भ जलस्तर की किसी को चिता नहीं है। घरो
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : लगातार गिरते भूगर्भ जलस्तर की किसी को चिता नहीं है। घरों में धड़ाधड़ लग रहे सबमर्सिबल पंप भूगर्भ से जल को खींच रहे हैं। हम पानी तो बेतहाशा उपयोग कर रहे, लेकिन संचयन नाम मात्र का नहीं कर रहे हैं।
जिले के नगरीय क्षेत्र अकबरपुर, रसूलाबाद, पुखरायां, झींझक, रूरा, सिकंदरा समेत शिवली व अन्य जगह 10 में से सात घरों में सबमर्सिबल पंप लगे हैं। बाकी जगह पाइप लाइन से होने वाली आपूर्ति पर लोग आश्रित हैं। हाल यह है कि अगर मोहल्ले में किसी घर में नया सबमर्सिबल पंप लगा तो बाकी के यहां पानी की आपूर्ति धीमी हो जाती है। ऐसे में लोग यह नहीं सोचते कि भूगर्भ जलस्तर कम होने से यह समस्या आ रही है बल्कि वह और गहराई में बोरिग कर इस समस्या से निजात पाते हैं। ज्यादातर हर क्षेत्र में यही हाल है और लोग सचेत नहीं हो रहे कि भूगर्भ के अंदर कीमती जल का हम कितनी तेजी से दोहन कर बर्बाद कर रहे हैं। अगर मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाया जाए या फिर सोक पिट का इंतजाम किया जाए तो हम अपनी जरूरत का पानी तो बचा ही सकते हैं।
एक सर्वे के अनुसार नगरीय क्षेत्र में प्रतिवर्ष 10 सेंटीमीटर पानी का स्तर नीचे गिर रहा है। रूरा कस्बे की बात करें तो यहां पहले 50 फीट पर पानी आता था, लेकिन अब करीब 70 फीट पर आ रहा, भोगनीपुर व पुखरायां में 110 से 120 फीट पर पानी मिल रहा है जो कि पहले 60 से 70 फीट पर मिलता था। इसी तरह से अकबरपुर में 90 से 100 फीट पर पानी मिल रहा और पांच वर्ष पहले यहां 50 से 60 फीट पर पानी मिल जाता था। संदलपुर में भी 70 से 80 फीट पर पानी मिल रहा जो कि बताने के लिए काफी है कि भूगर्भ जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। आने वाले समय में इसमें और तेजी से वृद्धि होगी।
लोगों की अपील
- यह समस्या तो है कि किसी के यहां नया सबमर्सिबल पंप लगा तो दूसरों के यहां पानी आपूर्ति की रफ्तार कम हो जाती है। लगातार भूगर्भ जलस्तर नीचे गिर रहा है। अब हमें समझ आ रहा कि जल संरक्षण कितना महत्वपूर्ण है। -नमो नारायण मिश्रा - यह बात सही है कि पानी बचाने की दिशा में हम लोग कभी नहीं सोचते हैं। लेकिन अब मैंने छोटे छोटे प्रयास से पानी बचाने की पहल शुरू कर दी है। पानी अनमोल है इसे नहीं बचाया तो भविष्य में संकट होगा। - रामनाथ