'ये बड़े-बड़े फूल थे.. महल जैसा लगा राष्ट्रपति भवन'

संवाद सहयोगी डेरापुर (कानपुर देहात) देश के सर्वाेच्च पद पर होते हुए भी राष्ट्रपति बेहद

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 08:15 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 08:15 PM (IST)
'ये बड़े-बड़े फूल थे.. महल जैसा लगा राष्ट्रपति भवन'
'ये बड़े-बड़े फूल थे.. महल जैसा लगा राष्ट्रपति भवन'

संवाद सहयोगी, डेरापुर (कानपुर देहात) : देश के सर्वोच्च पद पर होते हुए भी राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द कितने बेहद सरल और सहज हैं, यह उनसे मिलकर लौटे परौंख समेत डेरापुर क्षेत्र के अन्य गांवों के ग्रामीणों से पूछिए। राष्ट्रपति की यह सरलता ही है कि उन्होंने अपने आलीशान भवन के दरवाजे गांव के लोगों के लिए खोल दिए। डेरापुर क्षेत्र के कई गांवों के ग्रामीणों को राष्ट्रपति भवन आने का निमंत्रण दे दिया। दो दिन पहले जब लोग वहां पहुंचे तो राष्ट्रपति भवन की भव्यता देख चकित रह गए। सपने से कम नहीं था उनके लिए यह सब देख और महसूस कर पाना। राष्ट्रपति के पैतृक गांव परौंख से गए महेश सिंह भदौरिया लौटने के बाद बताते हैं, राम नाथ कोविन्द गांव से गए लोगों से परिवार की तरह मिले। हर किसी से उसका और उसके परिवार का हालचाल जाना। जिले के बारे में पूछा। महेश अचरज भाव के साथ कहते हैं कि भवन के बगीचे (मुगल गार्डन) में ये बड़े-बड़े फूल लगे हैं..राष्ट्रपति भवन महल जैसा लगता है।

महेश के साथ, गोविद सिंह भदौरिया, आदित्य प्रताप सिंह, गुड्डी देवी, शबाना, अमौली ठकुरा गांव से बाबूराम सिंह, अखिलेश कुमार, उनके बेटे अखंड प्रताप सिंह व सिठमरा गांव से रमेशचंद्र कोरी राष्ट्रपति भवन गए थे। राष्ट्रपति ने सभी से हालचाल जाना, जिले में क्या गतिविधि चल रही है, इसकी भी जानकारी ली। क्षेत्र से जुड़ी यादों को साझा किया और खुद ही ही राष्ट्रपति भवन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अंबियापुर में हुए मालगाड़ी हादसे को दुखद बताया। वहां लौटे ग्रामीणों ने बताया कि राष्ट्रपति भवन को देखकर व राम नाथ कोविन्द से मिलकर अच्छा लगा। राष्ट्रपति भवन के कमरे जितने बड़े हैं, उतना तो शहर में भी देखने को नहीं मिला।राष्ट्रपति ने ग्रामीणों के साथ फोटो खिंचाई और 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश के संभावित कार्यक्रम के बारे में बताया। आखिरी में सभी को लड्डू देकर विदा किया।

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