अमरौधा व सिकंदरा क्षेत्र के खेतों में पोषक तत्वों की कमी

जागरण संवाददाता कानपुर देहात जनपद के यमुना पट्टी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 12:15 AM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 06:03 AM (IST)
अमरौधा व सिकंदरा क्षेत्र के खेतों में पोषक तत्वों की कमी
अमरौधा व सिकंदरा क्षेत्र के खेतों में पोषक तत्वों की कमी

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: जनपद के यमुना पट्टी से लगे हुए अमरौधा व सिकंदरा क्षेत्र के खेतों में पोषक तत्वों की कमी है। यहां के खेतों में प्रमुख पोषक तत्व नाइट्रोजन, पोटाश, जिक व सल्फर की कमी मिली है, जिससे उत्पादन क्षमता पर भी असर पड़ा है। जनपद में स्थापित लैब में की गई जांच में इसका खुलासा हुआ है। वहीं गांव-गांव में लैब खोलने की योजना थी पर स्टाफ की कमी के चलते इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।

जनपद के कई क्षेत्रों में किसानों के खेत की मिट्टी जनपद स्थित लैब में जांची गई थी। हाल ही में 10 मॉडल गांव के किसानों के खेतों की भी जांच हुई। जांच के बाद सामने आया है कि सिकंदरा व अमरौधा क्षेत्र के खेतों की उर्वरा शक्ति अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कम है। यहां पर 16 प्रमुख तत्वों में से सल्फर, जिक, पोटाश व नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश की कमी है जो कि किसानों के लिए लाभकारी नहीं है। हरी खाद व जैविक खाद के लिए उपाय कर खेतों में पोषक तत्व कैसे बढ़ाएं जाए किसानों को इसके लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड में बताया गया है। वहीं जनपद में बारा गांव के पास लैब के साथ ही जनपद में चार जगहों पर छोटी लैब है। स्टाफ की कमी के चलते लैब बनाए जाने की योजना पर ब्रेक लग गया। इसके चलते जनपद की इन लैब में ही मिट्टी की जांच होती है। उप निदेशक कृषि विनोद यादव बताते है कि बीहड़ क्षेत्र के खेतों में पोषक तत्व की कमी पाई गई है। मिट्टी की जांच 10 से 15 दिनों के अंदर कर ली जाती है। हरी खाद व जैविक खाद के जरिए किसान पोषक तत्वों को बढ़ा सकते है।

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कई प्रक्रिया से गुजरने के बाद होती है जांच

कानपुर मंडल के लैब स्टोर इंचार्ज संतोष सचान बताते है कि मिट्टी लैब में आती है तो सबसे पहले उसकी कुटाई होती है। इसके बाद उसे छानने के बाद साफ किया जाता है। इसके बाद मशीन में इसे रखने के बाद पीएच, सल्फर, बोरान, नाइट्रोजन, कापर, जिक, मैग्नीशियम, लोहा, जीवांश कार्बन समेत 16 तत्वों की जांच की जाती है। मिट्टी दो तरह की होती है अम्लीय व क्षारीय, यहां की मिट्टी क्षारीय अधिक है। खेत में जीवांश कार्बन की मात्रा घटने बढ़ने से पोषक तत्वों की मात्रा भी उसी हिसाब से परिवर्तित होती है। किसानों को जीवांश मात्रा बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।

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