मंडलायुक्त के फर्जी हस्ताक्षर बना नगर पंचायत चेयरमैन के भाई-भतीजे ने पाया ठेका

जागरण संवाददाता कानपुर देहात नगर पंचायत अकबरपुर में एक और धांधली सामने आई है। चेयर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 07:04 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 07:04 PM (IST)
मंडलायुक्त के फर्जी हस्ताक्षर बना नगर पंचायत चेयरमैन के भाई-भतीजे ने पाया ठेका
मंडलायुक्त के फर्जी हस्ताक्षर बना नगर पंचायत चेयरमैन के भाई-भतीजे ने पाया ठेका

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : नगर पंचायत अकबरपुर में एक और धांधली सामने आई है। चेयरमैन ज्योत्सना कटियार ने अपने भाई व भतीजे को कई कामों का ठेका दिया। वहीं इसके लिए ठेकेदारी लाइसेंस पाने को मंडलायुक्त का फर्जी हस्ताक्षर भी बना डाला। ईओ ने भी इसकी सही से जांच नहीं की और ठेकेदारी चलती रही। मंडलायुक्त के आदेश के बाद एसडीएम अकबरपुर ने थाने में चेयरमैन के भाई, भतीजे व अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।

दिशा की बैठक में नगर पंचायत चेयरमैन ज्योत्सना कटियार, उनके पति बबलू कटियार पर आरोप लगा था कि इन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने भाई उरसान डेरापुर निवासी सुभाष कटियार व उसके बेटे नीरज कटियार की फर्म चंद्रा कंस्ट्रक्शन को जमकर ठेके दिए, जिससे लाभ लिया गया। मामले में जांच शुरू हुई और वर्ष 2018 में तत्कालीन मंडलायुक्त सुभाषचंद्र शर्मा से जानकारी ली गई। इसके बाद जब पत्रों की जांच की गई तो पता चला कि उनकी तरफ से कोई भी ठेकेदारी फर्म के लिए अनुमति पत्र नहीं जारी हुआ है। जो पत्र नगर पंचायत में लगाया गया है उसमें मंडलायुक्त के फर्जी हस्ताक्षर बने थे। कवरिग लेटर न होते हुए भी ईओ देवहुति पांडेय ने इसे जारी कर दिया। मामला बढ़ने लगा तो इसी वर्ष चंद्रा कंस्ट्रक्शन ने अपना लाइसेंस निरस्त करा लिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए मंडलायुक्त डा. राजशेखर ने मुकदमे के आदेश डीएम को दिए। इसके बाद एसडीएम राजीवराज ने अकबरपुर थाने में तहरीर दी। अकबरपुर थाना प्रभारी विनोद मिश्रा ने बताया कि धोखाधड़ी, जाली व कूटरचित दस्तावेज तैयार करने की धारा में सुभाष उसके बेटे नीरज व अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

चेयरमैन व ईओ के खिलाफ जांच करेगी तीन सदस्यीय कमेटी

सीडीओ सौम्या पांडेय, कोषाधिकारी व लोकनिर्माण विभाग के अभियंता की तीन सदस्यीय कमेटी जांच करेगी। इसमें चेयरमैन, उनके पति व ईओ के भूमिका के अलावा लिपिक व अन्य कर्मियों की जांच की जाएगी। इसमें फर्म के मिले ठेकों, उनके भुगतान, काम की गुणवत्ता समेत अन्य चीजों की जांच शामिल रहेगी। रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्रवाई होगी।

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