संस्कृत के विद्वान पंडित गणपति गोपाल शास्त्री का निधन
संवाद सहयोगी झींझक संस्कृत के प्रकांड विद्वान कस्बा झींझक में करीब छह दशक से रह र
संवाद सहयोगी, झींझक : संस्कृत के प्रकांड विद्वान कस्बा झींझक में करीब छह दशक से रह रहे पंडित गणपति गोपाल शुक्ल शास्त्री का मंगलवार रात निधन हो गया। इस पर कस्बे व आसपास के लोग उनके आवास पर जमा हो गए।
फफूंद कस्बे में जन्मे पंडित गणपति गोपाल शास्त्री ने अपनी कर्म भूमि झींझक को बनाया। छह दशक पहले फफूंद से झींझक रहने आए पंडित गोपाल शास्त्री संस्कृत के विद्वान थे। झींझक सहित आसपास के गांव में उनका बहुत सम्मान था। जिले के कई कस्बों के संभ्रांत लोग उनके संपर्क में रहते थे व उन्हें ज्योतिष में महारत हासिल थी। इसके चलते कई जिलों के लोग उनसे अपनी जिज्ञासा दूर करने के लिए आते थे। उन्हें तीन भाषाओं का पूर्ण ज्ञान था। हिदी, संस्कृत, और उर्दू में पूर्ण ज्ञान था। 96 वर्षीय पंडित गणपति गोपाल शास्त्री को तीन दिन पहले बुखार आया था, जांच कराने पर डेंगू रिपोर्ट निगेटिव थी। मंगलवार सुबह से पैर में अधिक दर्द होने के कारण उनको कस्बे के डाक्टर ने एक्सरे कराने की सलाह दी थी। इस पर पुत्र नारायण उनको लेकर औरैया गए थे। शाम तक ठीक-ठाक रहने के बाद अचानक सेहत खराब हुई और हृदयगति रुकने से रात नौ बजे निधन हो गया। उनके देहावसान से क्षेत्र में शोक की लहर है। उनके निधन पर कस्बे के पूर्व चेयरमैन राजकुमार यादव, संतोष तिवारी, नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि संतोष त्रिपाठी, डा. सुरेश द्विवेदी, सहित सैकड़ों लोगों ने गहरा दुख जताया है। झींझक ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि बब्बन शर्मा ने कहा कि वह कस्बे के गौरव थे।