चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के भरोसे चल रहा मड़ौली पीएचसी

संवाद सूत्र, रूरा : क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए करीब डेढ़ दशक प

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 07:02 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 07:02 PM (IST)
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के भरोसे चल रहा मड़ौली पीएचसी
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के भरोसे चल रहा मड़ौली पीएचसी

संवाद सूत्र, रूरा : क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए करीब डेढ़ दशक पूर्व मड़ौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था। इससे लोगों को बेहतर उपचार मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण मड़ौली स्वास्थ्य केंद्र झाड़ियों में गुम हो गया है। स्थिति ऐसी है कि चिकित्सकों की तैनाती के बाद भी चतुर्थ श्रेणी कर्मी के भरोसे अस्पताल चल रहा है।

मड़ौली, रोशनमऊ, दौलतपुर, बलेथा, करगांव, निजामतपुर सहित क्षेत्र के करीब 15 गांव के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए मड़ौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था। अस्पताल में चिकित्सक, फार्मासिस्ट के साथ अन्य स्टाफ की तैनाती की गई थी। लोगों को 24 घंटे उपचार मिल सके इसके लिए आवास की व्यवस्था भी की गई थी, लेकिन आज तक परिसर के आवासों को किसी भी कर्मी ने आशियाना नहीं बनाया है। इससे आवासीय भवन खंडहर में तब्दील हो गए। इसके साथ ही चारों ओर उगी झाड़ियां अस्पताल की बदहाली को बयां कर रही हैं। पेयजल आपूर्ति के लिए रखी टंकी से एक बार भी पानी की आपूर्ति न होने से वह भी निष्प्रयोज्य हो गई। अस्पताल में डा. राजेश, फार्मासिस्ट शरद त्रिपाठी, एलए ब्रजेंद्र शुक्ला व चतुर्थ श्रेणी अरुण की तैनाती है, लेकिन अस्पताल चतुर्थ श्रेणी कर्मी के भरोसे ही चल रहा है। चिकित्सक व फार्मासिस्ट के न पहुंचने से अस्पताल के अधिकांश कमरों में ताला लटकता रहता है। प्रशासनिक उदासीनता के कारण बदहाल हुईं स्वास्थ्य सेवाओं का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है और न चाहते हुए भी उन्हें झोलाछाप से उपचार के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सीएमओ एके सिंह ने बताया कि मामले की जानकारी कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

ग्रामीणों का दर्द

ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल की सेवाएं सुचारु कराने के लिए जल्द ही अधिकारियों से मिलकर व्यवस्था दुरुस्त कराई जाएगी। - ज्ञान सिंह पाल, जिला पंचायत सदस्य जबसे अस्पताल बना है किसी भी दिन चिकित्सक नहीं रुके हैं। अस्पताल नियमित खुले तो क्षेत्र को लोगों को लाभ मिलेगा। -अशोक दुबे जिस उद्देश्य सें दुर्गम जगह पर अस्पताल खोला गया था तब लोगों ने सोचा था कि बेहतर उपचार मिल सकेगा, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो सका है।

- गपुअन तिवारी दूरदराज के गांव से लोग पैदल चलकर किसी तरह अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन वहां चिकित्सक के न मिलने पर उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है।

- अनिल सिंह

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