प्रेम बराबर जुआ नहीं कभी ना इसमें हार..
संवाद सहयोगी रसूलाबाद प्रेम बराबर जुआ नहीं कभी ना इसमें हार दांव मिले तो मिले गुसाईं ह
संवाद सहयोगी, रसूलाबाद : प्रेम बराबर जुआ नहीं कभी ना इसमें हार, दांव मिले तो मिले गुसाईं हार गए तो बेड़ा पार.. सभी से मोहब्बत करें, प्रेम और शांति से रहें, सब धर्मों के साथ अच्छा व्यवहार करें। हजरत गुल पीर शाह बाबा मजार परिसर में आयोजित सालाना उर्स जलसे के समापन पर उर्स के जेरे सरपरस्त सज्जादा नशीन सफीपुर शरीफ उन्नाव शोएबुल अलीम साहब की सरपरस्ती में कुल शरीफ हुआ।
हजरत गुल पीर शाह की मजार परिसर में आयोजित उर्स जलसे के समापन पर कव्वाली कार्यक्रम में लोग झूमने को मजबूर हो गए। देश को एक जाति धर्म में बांधकर आपसी भाईचारे की सीख दी गई। जलसे में शरीक बूढ़े, बच्चे और जवान सभी को राष्ट्रहित की नसीहत कव्वालों ने दी। उन्होंने कहा हमारा मजहब मेहमान नवाजी अच्छे से करने की यानी गरीबों को खाना खिलाना, उनसे अच्छा बर्ताव करना, आपस में मोहब्बत से रहना, देश से मोहब्बत करना, सभी धर्मों के साथ अच्छा व्यवहार करना सिखाता है। अल्लाह को पाने का सबसे अच्छा तरीका उससे इश्क करना ही है। प्रेम करने वाले की हार नहीं होती है, दांव मिल जाने पर अल्लाह मिलता है और हार जाने पर भी बेड़ा पार हो जाता है। इस मौके पर आए हुए लोगों ने चादर चढ़ाई और बड़े अकीदत से दुआएं मांगी। इसके पूर्व महफिले शमां कार्यक्रम में मौदहा हमीरपुर से आये गुलाम फहीम वारिस एंड पार्टी ने तुम्हीं मेरी मंजिल तुम्ही मेरी पूजा तुम्हीं देवता हो तुम ही देवता, कभी चलते-चलते भटक गया कभी मिलते-मिलते अटक गया, हम पर खुदा-ए पाक का यह अहसान है क्योंकि सरकार को हमारा मसीहा बना दिया कव्वाली पर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कव्वाल पार्टी मझला जिला कन्नौज ने जो लोग मुस्तफा की महफिल सजा रहे हैं, सरकार उनके घर में तशरी़फ ला रहे हैं..पर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। इसके बाद खास मजार ए पाक कव्वाल शरीफ नाजा एंड कव्वाल पार्टी की ओर से नाज ये अंदाज तुम्हारे नहीं होते, झोली में अगर टुकड़े हमारे नहीं होते.. कलाम पर पूरी महफिल झूम उठी। इस मौके पर प्रमुख रूप से निजामियां उर्स कमेटी अध्यक्ष मो. आजम खान, प्रबंधक अतहर खान भुट्टो, हाजी फैजान खान, हाशिम खान, एहतिशाम खान भोलू, अकील ब़काई एडवोकेट, शफीक खान, मुबीन सिद्दीकी राजा, हाजी असलम, सभासद सुहैल अहमद, सिराज मंसूरी, इश्तियाक कुरैशी, इजहार मंसूरी महफूज खान मौजूद रहे।