जान हथेली पर लेकर आएं पुरानी पीएचसी

संवाद सहयोगी रसूलाबाद शासन की ओर से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे किए जा रहे हैं लेि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 07:59 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 07:59 PM (IST)
जान हथेली पर लेकर आएं पुरानी पीएचसी
जान हथेली पर लेकर आएं पुरानी पीएचसी

संवाद सहयोगी, रसूलाबाद : शासन की ओर से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन रसूलाबाद कस्बे का पुराना अस्पताल सभी दावों की पोल खोल रहा है। कस्बे में बने पुराने स्वास्थ्य केंद्र खंडहर हो गया है। जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण अस्पताल में अभी भी उपचार व टीकाकरण किया जा रहा है। इससे अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को हादसे का अंदेशा बना रहता है।

रसूलाबाद कस्बा व यहां से जुड़े आसपास के ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए रसूलाबाद-दिबियापुर मार्ग पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोला गया था। इसके बाद कस्बे में महाराणा प्रताप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया जहां आसपास के डेढ़ सैकड़ा गांव के लोग उपचार के लिए पहुंचते हैं। सीएचसी खुलने के बाद भी पुराने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार बंद नहीं किया गया जबकि यहां का भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है। कब किसके साथ अनहोनी हो जाए, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके बाद भी अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के साथ ही नवजात शिशुओं को टीबी, फ्लू, पोलियो, वैक्सीनेशन, काली खांसी, टिटनेस, निमोनिया, दस्त, खसरा, रुबेला, दिमागी बुखार सहित अन्य टीके प्रत्येक बुधवार व शनिवार लगाए जाते हैं। इससे यहां आसपास के क्षेत्र के लोगों की भीड़ जुटती है। टीकाकरण के लिए आने वाले लोगों को हादसे का डर सताता रहता है। इसके साथ ही इस कंडम घोषित किए जा चुके पीएचसी के जर्जर आवासों में एएनएम सुधा, सुषमा व नीरा वर्मा, एक संविदा स्वास्थ्य कर्मी किरण एवं एक फार्मासिस्ट आलोक यहां रहते हैं। भवन की बाउंड्री टूट जाने के कारण अनेक लोगों ने इसमें अपने वाहनों को खड़ा कर कब्जा करना शुरू कर दिया है। वहीं आटो चालकों ने भी इसे पार्किंग बना लिया है। सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डा. लोकेश शर्मा ने बताया कि भवन कंडम घोषित किया जा चुका है फिर भी हमारे कुछ स्वास्थ्य कर्मी वहां के आवासों में रहते हैं। इसके साथ ही टीकाकरण भी वहां किया जाता है। इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराएंगे। लोगों का दर्द

- अस्पताल का भवन बहुत जर्जर है। टीकाकरण के लिए बच्चों को लेकर वहीं जाना पड़ता है, जिससे डर सताता रहता है। - शालिनी मिश्रा

- टीकाकरण के लिए आसपास क्षेत्र की महिलाएं यहीं आती हैं। भवन की स्थित से डर लगता है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए।- रुचि मिश्रा

- अस्पताल के आसपास गंदगी व कूड़े के ढेर लगे हैं। इसके बाद भी वहां बच्चों को टीकाकरण के लिए ले जाना पड़ता है। इससे बीमारी फैलने का डर भी सताता रहता है। - सुमन राजपूत

- सफाई के लिए अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन अस्पताल के पास ही गंदगी व कूड़े के ढेर लगे हैं। ऐसे अभियान का क्या अर्थ रहता है। - रमा देवी

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