कब्जे के शिकार तालाबों से कैसे पूरी हो जल संरक्षण की आस

संवाद सहयोगी झींझक (कानपुर देहात) बारिश का मौसम करीब आते ही जल संरक्षण को लेकर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 05:12 PM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 05:12 PM (IST)
कब्जे के शिकार तालाबों से कैसे पूरी हो जल संरक्षण की आस
कब्जे के शिकार तालाबों से कैसे पूरी हो जल संरक्षण की आस

संवाद सहयोगी, झींझक (कानपुर देहात) : बारिश का मौसम करीब आते ही जल संरक्षण को लेकर प्रयास शुरू हो गए हैं। प्रशासनिक स्तर पर तालाबों को चिह्नित कर खोदाई के निर्देश हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ों को झुठलाती जमीनी हकीकत में अधिकांश तालाब अवैध कब्जे का शिकार हो चुके हैं। ऐसे में तालाबों की खोदाई कर जल संचय करने के प्रयास बेमानी से प्रतीत होते हैं।

जिले में कुल 2720 तालाब हैं, जिसमें वर्ष 2020-2021 व 2021-2022 में मनरेगा के तहत 571 तालाबों में खोदाई कर जल संचय का लक्ष्य दिया गया, जिसमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार 497 तालाबों को संतृप्त किया जा चुका हैं। वहीं 74 तालाबों में मनरेगा के तहत कार्य चल रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत पर गौर करें तो अधिकांश तालाब अवैध कब्जे का शिकार हो चुके हैं। अकबरपुर, डेरापुर, रसूलाबाद, झींझक, संदलपुर, मलासा, अमरौधा, राजपुर सहित अन्य ब्लाकों में खोदे गए ज्यादातर तालाब सूख चुके हैं। वहीं लोगों के निजी स्वार्थ ने कूड़ा, गोबर व अवैध रूप से निर्माण कराकर उनको और भी समेट दिया है। इससे जल संरक्षण को लेकर किए जा रहे हैं। प्रयास वास्तव में धरातल पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ रहे हैं। झींझक ब्लाक की 46 ग्राम पंचायतों में 219 तालाब है, जिसमें मंगलपुर के कंजरडेरा के गाटा संख्या 317 पर 7 बीघा का तालाब हैं। करीब एक बीघा भूमि पर पक्के मकान बने हैं। वहीं गांव का ही गाटा संख्या 182 मंगलपुर मस्जिद के पास स्थित 15 बिस्वा के तालाब में लोगों ने पक्के मकान बना कब्जा कर लिया है। एक वर्ष पूर्व लेखपाल ने आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा किया था, जिसके बाद भी तालाब कब्जामुक्त नहीं हो सका। वहीं मंगलपुर के चतुर्भुज बाबा तालाब को 10 माह पूर्व स्थानीय प्रशासन ने कब्जा मुक्त कराया था। इसी प्रकार किशौरा, खमहैला, जुरिया, परजनी, राजपुर, चिरखरी, लगरथा, औरंगाबाद, डालचंद्र औरंगाबाद, भोला हुलास सहित अन्य ग्राम पंचायतों में भी तालाबों की भूमि पर लकड़ी फूस की झोपड़ी आदि रखकर स्थायी व अस्थाई कब्जे किए गए हैं। इससे जल संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयास धरातल पर कितने सफल होते हैं इसका आकलन स्वयं ही किया जा सकता है।

तालाबों को लेकर समीक्षा की जा रही है। ऐसे तालाबों को चिह्नित किया जा रहा है, जहां अवैध कब्जे हैं। इनको चिह्नित कर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही अवैध निर्माण को भी ढहाया जा रहा है। - पंकज वर्मा, एडीएम प्रशासन

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