सूखे तालाबों से गिर रहा भूगर्भ जलस्तर
संवाद सहयोगी भोगनीपुर सूखे तालाब पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित होते जा रहे हैं। सूखे
संवाद सहयोगी, भोगनीपुर : सूखे तालाब पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित होते जा रहे हैं। सूखे तालाबों का असर भूगर्भ जलस्तर की गिरावट पर भी पड़ रहा है। एक और कारण यह है कि तालाबों में अतिक्रमण हो गया या फिर सफाई न होने से पानी जमा नहीं हो पाता है। मलासा ब्लॉक के किशोरपुर गांव में ऐसा ही एक तालाब है जिसका स्वरूप पूरी तरह बिगड़ चुका है।
किशोरपुर गांव में वर्ष 2010-11 में मनरेगा योजना के तहत लाखों रुपये खर्च कर तालाब की खोदाई कराई गई थी। तालाब के चारों ओर पक्के खंभे बनाकर लोहे के तारों से बैरीकेडिग कराई गई थी। लोगों के बैठने के लिए सीमेंट की सीट भी बनी थी। दो तरफ प्रवेश के लिए गेट भी बने थे। समय के साथ यह बदहाल होता गया और बैरीकेडिग टूटने के अलावा गेट व सीट भी उजाड़ हो गए। इसका स्वरूप ही कुछ सालों में बदल गया और झाड़ियां व जंगली पेड़ के अलावा अतिक्रमण हो गया। सही स्लोब न होने से बारिश का पानी यहां जमा ही नहीं हो पाता है और जमीन पर गिरकर संरक्षित नहीं हो पाता है। तालाब के बीच में थोड़ा सा गंदा पानी ही है, जिससे यह आभास होता है कि यह तालाब है। लोगों ने भी कभी इसके महत्व को नहीं समझा और यही कारण है कि गांव व आसपास क्षेत्र में भूगर्भ जलस्तर सही नहीं है। लोगों का कहना है कि यहां पर 80 से 90 फीट पर पानी मिलता है कई साल पहले यही पानी करीब 60 फीट पर ही मिल जाता था। लोग यहां भूगर्भ जलस्तर गिरने के संकट को समझ रहे हैं, लेकिन प्रयास कोई नहीं किया जा रहा है। एडीओ पंचायत हरीओम सक्सेना ने बताया कि ब्लॉक के किशोरपुर गांव में बनवाए गए आदर्श तालाब में पानी न भरवाने की जानकारी नहीं है। यहां पर समस्या को दूर कराकर पानी भरवाया जाएगा।