चुनावी चौपाल : वोट मांगे वाले आई रहे पर सोच समझ के करिहें वोट

गोल्डन द्विवेदी रूरा जब गांव में काम रहै तब तो कौना दिखा नाए अब वोट मांग वाले आई रहे पर

By JagranEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 07:28 PM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 07:28 PM (IST)
चुनावी चौपाल : वोट मांगे वाले आई रहे पर सोच समझ के करिहें वोट
चुनावी चौपाल : वोट मांगे वाले आई रहे पर सोच समझ के करिहें वोट

गोल्डन द्विवेदी, रूरा : जब गांव में काम रहै तब तो कौना दिखा नाए, अब वोट मांग वाले आई रहे पर अब ऊ जमाना चलो गै जब पैलगी करे से वोट मिल जाइ। हम पहले देखब फिर बहुत सोच के ही वोट दैब कि गांव आगे बढै़। यह बातें बनीपारा के ललपुरवा की रेशमा ने कही। यहां गांव में दिनभर गेहूं काटने व खेत में काम करने के बाद जब शाम को दरवाजे पर लोग बैठते हैं तो चुनाव की चर्चा शुरू हो जाती है। इस चर्चा में पुरुषों से पीछे महिलाएं भी नहीं हैं और वह भी अपनी बात खुलकर कह रही हैं।

यहां बैठे युवा सोमेंद्र कहते हैं कि हमाए चचा लोग पहले पैर जो सही से छू लै और मिन्नत करी लै तो समझ लो वोट पक्का हो गवा, लेकिन अब इन सबन का समझी में आ रहो कि पैर छूवे से नाही बल्कि सड़क, पानी व गांव में काम से उनका व सभी का भला होई। उनकी ही बात से सरोकार रखते हुए किसान मानक सिंह कहते हैं कि भैया वोट तो ओही का ऐ बारी दैक है जो चेहरा व जाति देखकर काम न करावै बल्कि जो भी ओकेर दरवाजे जाए तो बस काम चटपट में होई जावै। यहीं पर बैठे कप्तान व रामपाल कहते हैं कि भइया हम परिवार संगै वोही का वोट दैब जो हमरे हर समय काम आवा होई। चाहे मनरेगा का काम होवै या फिर नाली खड़ंजा की समस्या संगै रहे वाले का हम नाही भूल रहै और साथ दैब। यहीं बैठीं संतरा देवी कहती है कि पहलै जे पैर छूकर मिन्नत बहुत करी लैवे तो हमऊ ओकर वोट देई देत रहे। अब समझी में आवो है कि जै गांव व क्षेत्र के कामी न आवै तो ओके वोट देई के का जरूरत परौ है।

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