कड़री आश्रम में हरियाली से धरा का श्रृंगार

- कड़री आश्रम के संत रमेशस्वरूप ब्रह्मचारी ने बंजर क्षेत्र को कर दिया हरा भरा आलोक चतुवे

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Jan 2021 08:05 PM (IST) Updated:Tue, 05 Jan 2021 08:05 PM (IST)
कड़री आश्रम में हरियाली से धरा का श्रृंगार
कड़री आश्रम में हरियाली से धरा का श्रृंगार

- कड़री आश्रम के संत रमेशस्वरूप ब्रह्मचारी ने बंजर क्षेत्र को कर दिया हरा भरा

आलोक चतुर्वेदी, शिवली

ईश्वर पूजन के साथ प्रकृति का पूजन अहम है। इसी बात को आत्मसात करते हुए एक संत अपनी तपस्या से शिवली क्षेत्र की भूमि को हरा भरा कर रहा है। उनकी मेहनत से लगाए 100 से अधिक पीपल के पौधे आज पेड़ बन चुके हैं। अब दूसरे भी प्रेरित होकर हरियाली फैलाने में लगे हैं।

हनुमानगढ़ी आश्रम कड़री के संत रमेशस्वरूप ब्रह्मचारी पर्यावरण के सजग प्रहरी हैं। करीब 35 साल पहले यहां आए संत ने जंगल में कुटिया बनाकर तपस्या व साधना से इस स्थल को न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनाया बल्कि पेड़-पौधे रोपित कर भक्तों को धरती मां का श्रृंगार करने की प्रेरणा भी दी। लोगों के सहयोग से करीब 9 साल पहले श्रमदान कर आश्रम के आसपास की ऊबड़-खाबड़ जमीन को समतल बनाने के बाद पत्तियों व गोबर की खाद से उपजाऊ बनाया। यहां पीपल के साथ ही गूलर, आम व जामुन आदि के पौधे लगाए। उनकी प्रेरणा से लोगों ने पौधा रोपना शुरू किया और आसपास क्षेत्र हरियालीयुक्त हो गया। यहां आने वालों को वह तुलसी का पौधा भेंट करते हैं।

गुणों की खान है पीपल

हनुमानगढ़ी कड़री आश्रम के संत कहते हैं कि पीपल का वृक्ष धार्मिक व वैज्ञानिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। मूले ब्रम्हा, मध्ये विष्णु, शाखायाम च महेश्वर:। पत्रे पत्रे देवानाम, वृक्षराज नमोस्तुते:। यानी धार्मिक दृष्टि से इस वृक्ष में देवताओं का वास होता है। गरुण पुराण के अनुसार यह वृक्ष जीवित अवस्था में शांति व मरणोपरांत मुक्ति प्रदान करता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से पीपल का वृक्ष बीमारियों के कीटाणु व प्रदूषण नष्ट करने के साथ ही सर्वाधिक ऑक्सीजन देता है। पीपल का पेड़ ही केवल रात में ऑक्सीजन देता है। यह दिन में 22 घंटे से भी ज्यादा समय तक ऑक्सीजन देता है। मौजूदा समय में आश्रम में 151 पीपल के अलावा दो सैकड़ा तुलसी के पौधे भी यहां रोपे गए हैं। तुलसी के पौधे से एक दिन में 20 घंटों से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन प्राप्त होती है।

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