हैंडपंप से निकला गंदा पानी डेरापुर सीएचसी में बांट रहा बीमारी
संवाद सहयोगी डेरापुर जिस अस्पताल मे लोगों को निरोगी बनाने की जिम्मेदारी होती है वही अग
संवाद सहयोगी, डेरापुर : जिस अस्पताल मे लोगों को निरोगी बनाने की जिम्मेदारी होती है वही अगर बीमारी बंटने लगे तो जनता कहां जाए। डेरापुर सीएचसी में ऐसा ही हाल है, यहां पर परिसर में लगे दो हैंडपंप में बदबूदार और खारा पानी आ रहा है। नगर पंचायत व स्वास्थ्य विभाग के बीच री-बोरिग का मामला फंसा है और लोग परेशान हो रहे हैं।
अस्पताल आने वाले मरीज, तीमारदारों के साथ ही स्टाफ को पानी की उपलब्धता के लिए सरकारी हैंडपंप लगे हैं। चार माह से एक हैंडपंप से बदबूदार पानी आ रहा है, जबकि दूसरे से खारा पानी निकल रहा है। इससे अस्पताल में न केवल मरीजों बल्कि तीमारदारों को भी पेयजल के लिए भटकना पड़ता है। वहीं अस्पताल के आवास में चिकित्सक के साथ ही कर्मी भी रुकते हैं, जिन्हें पेयजल समस्या का सामना करना पड़ता है। अस्पताल कर्मी रवि श्रीवास्तव, नीरज कुमार, अरुण कुमार, सुधीर मिश्रा ने बताया कि हैंडपंप होने के बाद भी पीने योग्य पानी नहीं है। पीने के पानी के लिए रोड के दूसरे तरफ एक निजी मकान के संचालक के यहां से पानी लेकर आना पड़ता है। वहीं गलुआपुर निवासीधीरज, दस्तमपुर निवासी अरुण, जिगनिश निवासी रामकुमार ने बताया कि अस्पताल में इलाज कराने के लिए जाने पर अस्पताल परिसर में पीने के पानी की व्यवस्था न होने पर भटकना पड़ता है। सीएचसी प्रभारी डा. अशोक कुमार ने बताया कि कई बार नगर पंचायत व उच्च अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं कराया गया है। ईओ सुरेश कुमार का कहना है कि जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की बनती है कि इसकी मरम्मत व रीबोरिग करवाए, लेकिन फिर भी जनहित में समस्या का समाधान करा दिया जाएगा। क्या कहते हैं लोग
- मजबूरी में दुकान से खरीदकर पानी लेना पड़ता है या खारा पानी पी लेते हैं, जिससे प्यास बुझ सके। इसका समाधान जिम्मेदारों को करना चाहिए। -रमेश चंद्रपाल - जब कभी सीएचसी आओ तो पहले से ध्यान रहता है कि यहां पर पानी पीने की समस्या है इसलिए घर से बोतल में लेकर आते हैं, लेकिन यहां भर्ती मरीज व तीमारदारों को समस्या होती है। - वीरपाल - पता नहीं कब हैंडपंप की रीबोरिग कराई जाएगी और लोगों को राहत मिलेगी। इस पानी को अधिक पी लो तो पेट की समस्या होना निश्चित है। -शिवेंद्र सिंह - कई बार हम लोगों ने मांग रखी कि इसे सही करा दिया जाए पर मामला फंसा पड़ा है। अस्पताल में तो साफ पानी मिलना ही चाहिए। -इंद्रपाल