नारदाश्रम में भक्तों ने पहुंचकर लिया आशीर्वाद

संवाद सहयोगी रसूलाबाद गुरु पूर्णिमा के अवसर पर नारदाश्रम नार में भक्त जुटे और गुरुदेव का

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 07:41 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 07:41 PM (IST)
नारदाश्रम में भक्तों ने पहुंचकर लिया आशीर्वाद
नारदाश्रम में भक्तों ने पहुंचकर लिया आशीर्वाद

संवाद सहयोगी, रसूलाबाद : गुरु पूर्णिमा के अवसर पर नारदाश्रम नार में भक्त जुटे और गुरुदेव का पूजन अर्चन कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद भंडारे में प्रसाद चखा।

नार आश्रम के पीठाधीश्वर संत विष्णु स्वरूप ब्रह्मचारी जी आठ अप्रैल को ब्रह्मलीन हो गए थे। इसके बाद से उनके स्थान पर अजय ब्रह्मचारी जी उनका कार्य देख रहे थे।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर उन्होंने ब्रह्मलीन संत का चित्र स्थापित कर लोगों से उनका पूजन-अर्चन कराया और प्रसाद दिया। लोगों ने भंडारे का प्रसाद भी ग्रहण किया। इसी प्रकार शिव धाम उसरी, ऋषि आश्रम विकास नगर, निर्मोही अखाड़ा कहिजरी खुर्द आदि देव स्थानों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। आए हुए श्रद्धालुओं ने गुरु पूजन करने के बाद प्रसाद चखा। नारदाश्रम पीठ के उत्तराधिकारी अजय ब्रह्मचारी व शिवधाम उसरी के महंत स्वामी बृजेशानंद ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु पूजन का कार्यक्रम कोविड नियमों के तहत संपन्न हुआ आए हुए श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।

इस दौरान प्रमुख रूप से मनोज तोमर, जीतू त्रिपाठी, सच्चिदानंद मिश्रा, घनश्याम मिश्रा, पूर्व चेयरमैन रामू

गुप्ता, संतोष सिंह गौर, बाबूलाल चौहान, मनोज तोमर, कमलेश तिवारी, आशीष अवस्थी, पवन तिवारी रहे।

गुरु ज्ञान बिन जीवन अधूरा

संवाद सूत्र, शिवली : गुरु ज्ञान के बिना मानव जीवन अधूरा रहता है। सच्चे गुरु के बताए रास्ते पर चलकर मानव सहज ही परमपिता परमात्मा की शरण प्राप्त कर मोक्ष गति प्राप्त कर सकता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर यह बात पवन तनय आश्रम रंजीतपुर के महंत बाबा गोपालानंद महाराज ने भक्तों के बीच कही। गुरु पूर्णिमा पर हनुमानगढ़ी कड़री आश्रम, बाघपुर के योगेश्वर आश्रम व वन हनुमान कुटी बेहटा आश्रम में भक्तों ने पहुंच आश्रम में मत्था टेक महंतों से आशीर्वाद लिया। पवन तनय आश्रम रंजीतपुर के महंत बाबा गोपालानंद महाराज ने भक्तों को बताया कि अनेकों जन्मों में पुण्य कर्म करने के पश्चात जीव को मानव योनि प्राप्त हो पाती है जहां इंसान की पहली गुरु उसकी माता व पिता होते जो बचपन में उसे उंगली पकड़कर चलना सिखाते हैं। उसके पश्चात विद्यालय में उसे गुरु उसे शिक्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि मानव जीवन मिलने के पश्चात इंसान को अपने माता-पिता व गुरु का अपमान कभी नहीं करना चाहिए जो लोग अपने माता-पिता तथा गुरु का अनादर करते उन्हें नारकीय जीवन बिताना पड़ता है।

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