दैनिक जागरण ने पहले ही चेताया था कि चोक नाले डुबाएंगे

संवाद सहयोगी घाटमपुर घाटमपुर कस्बे की सबसे बड़ी समस्या जलभराव है। अभी तक इसे दूर कर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 07:58 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 07:58 PM (IST)
दैनिक जागरण ने पहले ही चेताया था कि चोक नाले डुबाएंगे
दैनिक जागरण ने पहले ही चेताया था कि चोक नाले डुबाएंगे

संवाद सहयोगी, घाटमपुर : घाटमपुर कस्बे की सबसे बड़ी समस्या जलभराव है। अभी तक इसे दूर करने के वादे तो खूब हुए, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हुआ। पालिका चुनाव इसी मुद्दे पर लड़े जाते थे। इसके बाद बताया जाता कि पालिका के पास इतना बजट नहीं है कि इस समस्या से निपटारा पाया जाए। समस्या को गंभीरता से न लेकर लापरवाही करना भारी पड़ गया। नतीजतन सैकड़ों लोगों की गृहस्थी तबाह हुई और कई व्यापारियों की दुकानें। इस बार नालों की दुर्दशा की वजह से बारिश में घाटमपुर में जलभराव की विकट समस्या आनी तय थी। दैनिक जागरण ने पांच जून को ही खबर -'पहली बारिश में ही घाटमपुर डुबा देंगे ये चोक नाले' के जरिए अधिकारियों को चेताया था।

घाटमपुर कस्बा की सबसे बड़ी समस्या पानी का निकास न होना है। कस्बे के नाली का पानी यहीं पर भरता है, जिससे नाले के पानी के तालाब बन गए हैं। हर रोड पर नाले की वजह से एक तालाब बना हुआ है। कस्बे का सबसे ज्यादा करीब 60 नाले का पानी कानपुर रोड पर मीरा देवी स्कूल के पास गिरता है। जिससे सालों से यहां तालाब बना हुआ है। अखिलेश सरकार के दौरान 2014-15 में पालिका ने कस्बे से जल निकासी के लिए जल निगम के साथ मिलकर सर्वेक्षण कराया था। तय ये हुआ था कि कस्बे के नालों का पानी गुजेला गांव के पास में नोन नदी में डाला जाएगा। इसके लिए करीब 25 करोड़ रुपये की लागत का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था, लेकिन न तो सपा सरकार और न ही बाद में आई भाजपा सरकार ने इसे स्वीकृत किया। फिलहाल नगर पालिका ने कानपुर रोड वाले वाले तालाब के पानी को निकालने के लिए रेलवे की पुलिया के नीचे से ले जाकर परास गांव के नरवा तक कच्चा नाला खोदा था। यह व्यवस्था इसलिए थी कि बरसात के समय में तालाब ओवरफ्लो होकर मेन हाईवे में न आए। मूसलाधार बारिश में यह जुगाड़ काम नहीं आया और घाटमपुर जलमग्न हो गया।

विभाग एक-दूसरे पर मढ़ते रहे आरोप

नालों की दुर्दशा पर विभाग ने शुरुआत से ही एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहे थे। कस्बे के सभी मुख्य नाले धंसे हुए हैं। नगर पालिका ने इसके लिए नाला निर्माण में जुटी एनएचएआइ की कार्यदायी संस्था पीएनसी को जिम्मेदार ठहराया था। पीएनसी जल निगम को जिम्मेदार ठहरा रहा था। नगर में कानपुर रोड स्थित गांधी विद्या पीठ से लेकर हमीरपुर रोड में हनुमान मंदिर तक ओवरब्रिज का निर्माण किया जाना है। इसके साथ ही 1300 मीटर तक नाले का निर्माण भी होना है। करीब डेढ़ साल पहले इसका शिलान्यास हो चुका है। काम के नाम पर अभी तक कुछ नहीं हुआ। इस काम को पीएनसी करवा रही है। पीएनसी अभी तक मुश्किल से 400 मीटर नाले का निर्माण ही करा सकी है। लेटलतीफी पर पीएनी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने कोरोना के साथ ही जल निगम को भी जिम्मेदार ठहराया था। बताया था कि अभी नगर में जहां-तहां पीने वाले पानी की पाइपलाइन पड़ी हुई है। नाला निर्माण के साथ ही पाइप लाइन को भी शिफ्ट करना था। एनएचआइ ने जल निगम से खर्च का इस्टीमेट रिवाइज करने को कहा था। जल निगम ने रिवाइज एस्टीमेट दिया नहीं और पानी की पाइपलाइन भी शिफ्ट हुई नहीं। इसकी वजह से नाला निर्माण नहीं हो पाया। वहीं नाले धंसने के पीछे बताया गया कि नेयवेली पॉवर प्लांट तक पाली सप्लाई के लिए बिधनू नहर से लेकर प्लांट तक पाइप डाले गए थे। एल एंड टी (लार्सन एंड टुब्रो) ने यह काम किया था। पाइपों को डालने के लिए खुदाई के दौरान नालों का ध्यान नहीं रखा गया। खोदाई से नालों की दीवारें धंस गईं। नालों की न तो मरम्मत कराई गई और न ही किसी को सूचित किया गया।

लोग बोले- लापरवाही का नतीजा है यह समस्या

घाटमपुर में जलभराव की इस समस्या पर लोगों का कहना है कि यह समस्या नेताओं और अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है। कस्बे के पंकज पांडेय, पप्पू पांडेय, सुरेश सोनी, सुबोध त्रिपाठी, सजन शुक्ला आदि ने बताया कि पहली बार 1994 बारिश से घाटमपुर में बाढ़ आई थी। बाढ़ की मुख्य वजह कस्बे से पानी निकासी नहीं हो पाना था। तब से लेकर अब तक बस बाते ही हुईं। चुनावों में इसे मुद्दा बनाया गया और वोट हासिल किए गए। लेकिन, हुआ कुछ नहीं। किसी भी जनप्रतिनिधि ने ऊपर इस बात को दमदार तरीके से न तो रखा और न ही पैरवी की। जिसका नतीजा अब सामने आया है। घाटमपुर में कई परिवार ऐसे हैं जो कच्चे और जर्जर घरों में रहते हैं। सपा सरकार ने आसरा आवास योजना लाकर ऐसे लोगों को घर दिलाने की पहल की थी। बीते नौ साल से आसारा आवास तैयार ही नहीं हो पाए। इसके चलते कई परिवारों को अपना घर नहीं मिल पाया और इस संकट में उनकी गृहस्थी तबाह हो गई।

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