बागवां के प्यार व संघर्ष से खिल उठा बचपन
अंकित त्रिपाठी कानपुर देहात अकबरपुर के दो भाई अखिल व अभिषेक के लिए उनके पिता ही सब
अंकित त्रिपाठी, कानपुर देहात
अकबरपुर के दो भाई अखिल व अभिषेक के लिए उनके पिता ही सब कुछ हैं। मासूम रहते ही मां का आंचल सिर से हटा तो पिता के प्यार ने सहारा दिया। कई मुश्किलें आईं पर पिता ने संघर्ष से उसे पार किया और बच्चों की ही खातिर गांव छोड़ कस्बे में बस गए। आज पिता की मेहनत से ही उनके बागवां के दो फूल अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
गौरियापुर के संतोष उर्फ नन्हे अवस्थी कर्मकांड व पांडित्य का काम करते हैं। वर्ष 2010 में उनकी पत्नी सुनीता का बीमारी से निधन हो गया था। पांच वर्ष के बेटे अभिषेक व दो वर्षीय अखिल की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई। उन्होंने ठाना कि मां की कमी इन बच्चों को खलने नहीं देंगे। पहले वह दूसरे जनपद में भी कथा व पूजा के लिए जाते थे पर बच्चे छोटे थे तो ऐसा करना मुमकिन नहीं था। उन्होंने बाहर काम पर जाना बंद कर दिया। केवल स्थानीय आयोजन में ही जाते, इससे कुछ आर्थिक समस्या भी आई पर बच्चों की खातिर उन्होंने सब किया। खाना खुद बनाते बच्चों को खिलाते फिर खुद खाते। कई बार आयोजन में बच्चों को लेकर जाते, जिससे उनकी देखभाल हो सके। बच्चे बड़े होने लगे तो उनकी अच्छी शिक्षा के लिए अकबरपुर कस्बे में किराये पर रहने लगे। बच्चों को खुद तैयार करते व स्कूल छोड़कर आते। अब अभिषेक हाई स्कूल तो अखिल कक्षा आठ में है। आज भी उनकी परवरिश में वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दोनों बेटे कहते हैं कि पिता के प्यार से कभी मां की कमी नहीं लगी। हमें वह पढ़ाते भी हैं और हर चीज का ध्यान रखते हैं।