सुरुचि का आचरण करना अंत में होता कष्टदायी

संवाद सहयोगी रसूलाबाद सुनीति अर्थात सुंदर नीति पर चलना सुखदायक है जबकि सुरुचि के अनुसार अ

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 07:47 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 07:47 PM (IST)
सुरुचि का आचरण करना अंत में होता कष्टदायी
सुरुचि का आचरण करना अंत में होता कष्टदायी

संवाद सहयोगी, रसूलाबाद : सुनीति अर्थात सुंदर नीति पर चलना सुखदायक है जबकि सुरुचि के अनुसार आचरण करना अंत में कष्टदायी होता है। ध्रुव की मां सुनीति ने अपने पुत्र को सुंदर नीति मार्ग पर चलना बताया, जिससे उनका स्थान ऊंचा है। सुरुचि को आज भी लोग उपेक्षित भाव से देखते हैं।

कहिजरी स्थित महाकालेश्वर मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तहत कथावाचक कृष्ण कुमार पांडेय ने ध्रुव चरित प्रसंग श्रोताओं को सुनाया। उन्होंने बताया कि सतयुग में राजा उत्तानपाद के कोई संतान न होने पर उनकी रानी सुनीति ने उन्हें दूसरा विवाह करने की सलाह दी। राजा ने सुरुचि से विवाह किया। सुरुचि और सुनीति ने एक-एक पुत्र को जन्म दिया। सुनीति ने पुत्र ध्रुव को अच्छे संस्कार देकर हमेशा सही रास्ते पर चलने की शिक्षा दी, जबकि सुरुचि ने अच्छे संस्कार और शिक्षा अपने पुत्र उत्तम को नहीं दिए, जिससे वह घमंड के दास बन गए। एक बार राजा उत्तानपाद ने ध्रुव को अपनी गोद में बैठा लिया यह देखकर सुरुचि ने क्रोधित होकर राजा की गोद से ध्रुव को हटाकर अपने पुत्र उत्तम को बैठा दिया और ध्रुव से कहा कि तुम्हारा स्थान यहां नहीं है। सौतेली मां के इस आचरण से दुखी बालक ध्रुव ने मां से कारण पूछा तो उन्होंने नारायण भगवान की प्रार्थना करने की बात कही। घर छोड़ कर जंगल में नारायण भगवान के लिए कठोर तप करना शुरू कर दिया। ध्रुव के दृढ़ निश्चय को देखकर भगवान को प्रकट होना पड़ा और उनकी कृपा से ध्रुव व उसकी मां को न केवल राजा उत्तानपाद से सम्मान मिला बल्कि पूरी दुनियां उनका गुणगान करती है। इस दौरान रामकुमार दीक्षित, रामबली तिवारी, बैजनाथ त्रिवेदी, राकेश दीक्षित, अशोक मिश्रा, लल्लू सिंह, कमलेश मिश्रा, सुभाष त्रिवेदी, वीरेंद्र दुबे, रजोली तिवारी, दिनेश त्रिवेदी, नारायण त्रिवेदी, रोहित अग्निहोत्री, विष्णु बाजपेयी, संगीता बाजपेयी, विमला मिश्रा, चारू दीक्षित मौजूद रहीं।

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