जिला बनने के बाद बढ़ी सुविधाएं पर कई कामों का इंतजार

जागरण संवाददाता कानपुर देहात आजादी के बाद कानपुर नगर से पृथक होकर जिला 23 अप्रैल 198

By JagranEdited By: Publish:Mon, 08 Feb 2021 07:17 PM (IST) Updated:Mon, 08 Feb 2021 07:17 PM (IST)
जिला बनने के बाद बढ़ी सुविधाएं पर कई कामों का इंतजार
जिला बनने के बाद बढ़ी सुविधाएं पर कई कामों का इंतजार

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : आजादी के बाद कानपुर नगर से पृथक होकर जिला 23 अप्रैल 1981 को बनाया गया। उस समय की आबादी व वाहनों की संख्या में कई गुने का अंतर आ गया और कई विकास संबंधी काम भी हुए, लेकिन कई काम आज भी अधूरे हैं साथ ही कई क्षेत्रों का विकास भी होना बाकी है।

आजादी के बाद पहली बार देश में 9 फरवरी 1951 को जनसंख्या की गणना की गई थी। उस समय अपना जिला कानपुर नगर में सम्मिलित था। जिला बनने के बाद 1991 की जनगणना के आधार पर यहां की जनसंख्या 1169284 थी। उस समय वाहनों की संभावित संख्या करीब 70 हजार थी। मौजूदा समय की बात करें तो वर्ष 2019-20 की अनुमानित जनसंख्या 1964000 है तो वाहनों की संख्या 2524331 है। 11 अप्रैल 1994 को पुराने कस्बे अकबरपुर से सटी जगह को माती का नाम देकर मुख्यालय बना दिया गया और इससे पहले सभी कार्यालय कानपुर नगर से ही संचालित होते रहे। 1 जुलाई 2010 को जिले का नाम बदलकर रमाबाई नगर कर दिया गया और फिर से 2012 में कानपुर देहात कर दिया गया। आजादी के बाद से लेकर अभी तक सबसे विकसित क्षेत्र पुखरायां कस्बा ही है जहां आजादी के बाद नगर पंचायत थी और बाद में जिले की पहली नगर पालिका बनने का गौरव मिला। मौजूदा समय की बात करें तो पुखरायां व झींझक नगर पालिका हैं तो नगर पंचायतों की संख्या सात है। विकास कार्यों की बात करें तो सबसे अधिक जिले में पुखरायां कस्बे में ही विकास का काम हुआ है और यह सबसे बड़ा बाजार है। अकबरपुर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अंजू शुक्ला ने बताया कि 1951 से लेकर अब तक लंबा सफर गुजर गया। आबादी काफी बढ़ी है, लेकिन इसके अनुपात में विकास कार्य नाकाफी हैं। जिले में बहुत ही काम करने व तेजी से योजनाओं को लागू करने की आवश्यकता है।

ऊसर क्षेत्र बन गया मुख्यालय

माती मुख्यालय बनने से पहले यहां ऊसर क्षेत्र था। आते-जाते मिट्टी के टीले भी नजर आते थे, लेकिन जिला बनने के बाद यहां की किस्मत चमक गई। सभी को अनुमान था कि पुखरायां में मुख्यालय बनेगा, लेकिन इसका चुनाव किया गया। आज सभी विभागों के कार्यालय यहां पर स्थित हैं। नहीं मिल सकी सुविधाएं

जिला बनने के बाद जिला अस्पताल, फायर स्टेशन, सिचाई से जुड़ा अमराहट पंप कैनाल, दो नवोदय विद्यालय समेत अन्य चीजें मिलीं, लेकिन जिस हिसाब से सुविधाएं मिलनी चाहिए थीं वह जिले को नहीं मिल सकीं। जिले को आज भी बस डिपो का इंतजार है। परिवहन के लिए आज भी डग्गामार व निजी वाहन ही यहां के लिए उपयुक्त साबित हो रहे हैं। इसके अलावा हवाई अड्डा की योजना भी अधर में लटककर रह गई। औद्योगिक क्षेत्र भी सुविधा के लिए तरस रहा

रनियां औद्योगिक क्षेत्र प्रमुख है साथ ही जिले में केमिकल, मसाला, खाद्य उत्पाद व स्टील के बर्तन उद्योग प्रमुख है, लेकिन आज भी यह क्षेत्र ड्रेनेज समस्या से जूझ रहा और बात उच्चाधिकारियों तक गई पर हल नहीं मिला। इसके अलावा सड़कों की स्थिति भी बेहतर नहीं है। चार नगर पंचायत बनेंगी

जिले में रनियां नगर पंचायत का अस्थायी कार्यालय बन चुका है और अब राजपुर, कंचौसी व मूसानगर नगर पंचायत बनेंगी। डेरापुर व मूसानगर में विकास कार्यो की बहुत अधिक जरूरत हैं और सुविधाओं के हिसाब से यह पिछड़े हैं। बाकी क्षेत्रों में भी काम होना बाकी है।

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