कानपुर देहात में अनुसूचित जाति के 70 लोगों ने अपनाया बौद्ध धर्म

संवादसूत्र सरवनखेड़ा (कानपुर देहात) जातीय संघर्ष भेदभाव व छुआछूत से आहत मंगटा गांव के अन

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 08:46 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 08:46 PM (IST)
कानपुर देहात में अनुसूचित जाति के 70 लोगों ने अपनाया बौद्ध धर्म
कानपुर देहात में अनुसूचित जाति के 70 लोगों ने अपनाया बौद्ध धर्म

संवादसूत्र, सरवनखेड़ा (कानपुर देहात) : जातीय संघर्ष, भेदभाव व छुआछूत से आहत मंगटा गांव के अनुसूचित जाति के 70 लोगों ने धर्मातरण कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। गजनेर थानाक्षेत्र का यह गांव करीब छह माह पूर्व हुए जातीय संघर्ष के बाद काफी सुर्खियों में रहा था। 14 अक्टूबर को कानपुर फिर विजयदशमी (दशहरा) पर पुखरायां में हुए कार्यक्रम में उन्होंने दीक्षा लेकर धर्म परिवर्तन किया।

मंगटा गांव में बीती 13 फरवरी को एक धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन के दौरान जातीय संघर्ष हुआ था। इसमें अनुसूचित जाति के करीब 25 लोग घायल हो गए थे। इस मामले को लेकर दूसरी बिरादरी के 30 नामजद व 15 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। घटना से आहत अनुसूचित जाति के परिवारों के कई लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया।

गांव के मनफूल, पंकज कुमार, अरविद, चुन्नी लाल, विमलकुमार, रवि कुमार, नरेंद्र कुमार, राजेंद्र, लालजी समेत करीब 50 लोगों ने 14 अक्टूबर को कानपुर में आयोजित कार्यक्रम में बौद्ध भवन कानपुर में दीक्षा लेकर धर्म परिवर्तन किया। वहीं दशहरा के दिन अमित, श्रीबाबू, भूरा, महेश, दारा सिंह, गौरव, आशीष समेत करीब 20 लोगों ने पुखरायां में आयोजित धम्म सम्मेलन में धर्म परिवर्तन किया। उनका कहना है कि छुआछूत, अनदेखी व भेदभाव से परेशान होकर यह कदम उठाया है। इसमें किसी का दबाव नहीं रहा।

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रखी बात

- हमारी बिरादरी के काफी लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है। दूसरे वर्ग के लोग छुआछूत व भेदभाव करते है। हमारे शादी व अन्य कार्यक्रमों मे शामिल नहीं होते हैं इसी के चलते धर्म परिवर्तन किया है।

भुइयादीन - समाज में हमें और हमारे बच्चों को अपेक्षित सम्मान नहीं मिल रहा था। इससे खिन्न होकर धर्म परिवर्तन के लिए समारोह में गए थे।

रामरतन - सामाजिक कार्यक्रमों में हमें कोई बुलाता नहीं है। लगातार हम लोगों की अनदेखी की जा रही है। इससे ही परेशान होकर यह कदम उठाया है।

रमेश - समाज में विडंबना है कि हमारे समुदाय को हीनभावना से देखा जाता है। बौद्ध धर्म अपनाने का यही कारण है।

महेश

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