100 फीसद रहा आइसीएसई का परिणाम
जागरण संवाददाता कानपुर देहात आइसीएसई बोर्ड का परीक्षा परिणाम शनिवार को आया तो छात्र
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : आइसीएसई बोर्ड का परीक्षा परिणाम शनिवार को आया तो छात्र-छात्राओं के चेहरे पर खुशी छा गई। जिले का परिणाम 100 फीसद रहा और सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी। जेके मिलेनियम स्कूल अकबरपुर में हाईस्कूल का परिणाम छात्र छात्राओं को बताया गया व मिठाई खिलाकर उनको उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना दी गई।
शनिवार को अचानक परिणाम आया तो सभी छात्र-छात्राएं अपना रिजल्ट जानने को बेताब हो गए। एक दूसरे को फोन कर लोगों ने जानकारी दी और परिणाम जानने में लग गए। अकबरपुर के जेके मिलेनियम स्कूल में हाईस्कूल के छात्र पहुंचे और यहां पर सभी को जब परिणाम बताया गया तो वह खुश हो उठे। 100 फीसद यहां का रिजल्ट रहा। चेयरमैन इंद्रपाल सिंह सेंगर ने कहा कि सभी बच्चे उत्तीर्ण हुए इससे ज्यादा खुशी की बात नहीं हो सकती है। कोरोना जैसी विषम स्थिति में केवल चार माह ही कक्षाएं चल सकीं थीं। आनलाइन क्लास के जरिए बच्चों ने दम दिखाया कि कैसे भी हालात हो पढ़ाई में वह हमेशा आगे रहेंगे। छात्र छात्राओं के अभिभावकों ने भी मोहल्ले में मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। स्कूल की माधवी सिंह, निशा मिश्रा, को-आर्डिनेटर अजय गुप्ता व मंजूषा सेंगर ने आगे की शिक्षा के लिए शुभकामना दी। क्या कहते हैं मेधावी
एयरोस्पेस इंजीनियर बनने का है सपना
जिला अस्पताल रोड निवासी सिद्धार्थ ने सबसे अधिक 95.4 फीसद अंक पाया और अव्वल रहे। उनका कहना है कि वह आगे चलकर एयरोस्पेस इंजीनियर बनेंगे और अपने परिवार व देश का नाम रोशन करेंगे। सीआरपीएफ जवान पिता प्रदीप कुमार व मां संगीता ने हमेशा उनकी हौसलाफजाई की है जिसके चलते ही यह मुकाम हासिल हो सका है। कोरोना के समय में भी हिम्मत बांधे रखी और छह से सात घंटे रोजाना पढ़ाई की।
सिविल सर्विस में जाकर करनी है समाजसेवा
आघू रोड निवासी प्रज्ञा यादव लड़कियों में सबसे अव्वल रहीं और उनके 91.6 फीसद अंक आए हैं। उनका कहना है कि वह सिविल सर्विस में जाना चाहेंगी और भ्रष्टाचार मिटाना उनका लक्ष्य होगा। रोजाना पांच से छह घंटे की पढ़ाई की। शिक्षकों व परिवार का काफी सहयोग उनको मिला और हमेशा अपने लक्ष्य को याद रखा।
मेडिकल क्षेत्र में कमाना है नाम
नेहरू नगर के अमन तिवारी ने 89.8 फीसद लाकर स्कूल में तीसरा स्थान प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि वह रोजाना करीब पांच घंटे पढ़ते थे और इंटरनेट मीडिया से दूरी बनाई थी। आगे चलकर उन्हें मेडिकल क्षेत्र में नाम कमाना है। पिता ओम नारायण व व सभी स्वजन का पढ़ाई में काफी सहयोग रहता था। शिक्षकों व परिवार के चलते ही अच्छे अंक आए।