विधानसभा स्पीकर ने लोगों से की अपील, कहा- पैसों के अभाव में गंगा में प्रवाहित न करें शव, सरकार उठाएगी खर्च

वैसे गंगा के इस तट पर अंत्येष्टि की परंपरा बहुत पुरानी है। अंत्येष्टि के तीन तरीके अपनाएं जाते रहे हैं। गंगा जल को निर्मल बनाने के लिए शवों के जल प्रवाह बंद करने का संकल्प पांच-दस साल पहले ले लिया गया था। बक्सर घाट तीन जिलों का केंद्र है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 08:44 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 08:44 PM (IST)
विधानसभा स्पीकर ने लोगों से की अपील, कहा- पैसों के अभाव में गंगा में प्रवाहित न करें शव, सरकार उठाएगी खर्च
उत्तर प्रदेश विधानसभा स्पीकर हृदय नरायण दीक्षित मामले पर जानकारी देते हुए।

उन्नाव, जेएनएन। गंगा तटों खासकर बक्सर में शवों को दफनाये जाने और उनके बाहर आने के बाद जानवरों के नोंच कर खाने के मामले को विधानसभा अध्यक्ष क्षेत्रीय विधायक हृदय नरायण दीक्षित ने भी गंभीरता से लिया है। कहा कि कोई भी व्यक्ति गरीबी या अभाव के कारण शव का गंगा में प्रवाहित या किनारों पर दफन न करें। बल्कि ऐसे लोगों के साथ सरकार है, उनके शवों की अंत्येष्टि का व्यय उठाएगी। इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। 

कहा कि वैसे गंगा के इस तट पर अंत्येष्टि की परंपरा बहुत पुरानी है। अंत्येष्टि के तीन तरीके अपनाए जाते रहे हैं। गंगा जल को निर्मल बनाने के लिए शवों के जल प्रवाह बंद करने का संकल्प 5-10 साल पहले ले लिया गया था। बक्सर घाट तीन जिलों का केंद्र है। यहां लगभग 100 किमी दूरी से अंत्येष्टि के लिए लोग आते रहे हैं। मेरे गांव जो बक्सर से 65 किमी. दूर हैं वहां से भी लोग शव की अंत्येष्टि के लिए इसी तट पर आज भी आते हैं। इसके अलावा रायबरेली व फतेहपुर के लोग भी यहां आते हैं। 

बताया कि कुछ वर्ष पहले कानपुर के बिठूर घाट के पास गंगा में कुछ शव देखे गए थे। उस समय भी बड़ा शोर हुआ था। यह शव सामान्य स्थिति में गंगा की धारा में बहाए गए थे। उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी, पर कोई प्रभाव जांच निष्कर्ष उपलब्ध नहीं हुआ था। ताजे मामले को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है। जिला प्रशासन सक्रिय है। अपील किया कि हम सब महामारी के इस हमले में कोरोना शिष्टाचार, मास्क और शारीरिक दूरी के अनुशासन का पालन करें। अफवाहों से सावधान रहें। 

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