प्रवासियों की भीड़ में चल रहे डब्ल्यूटी, कोरोना के डर से कोच में नहीं जाते हैं टीटीई
ज्यादातर लोग भीड़ की आड़ में सफर तो शुरू कर देते हैं लेकिन टिकट आरक्षित नहीं कराते। यह लोग आसानी से अपने गंतव्य भी पहुंच जाते हैं क्योंकि ट्रेनों में सफर के दौरान टीटीई भी कोच में जांच करने नहीं जाते।
कानपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपदा के अवसर के सूत्र को कुछ प्रवासी भी भुना रहे हैं। दरअसल ट्रेनों में प्रवासियों की भीड़ चल रही है जिसमें ज्यादातर प्रवासी इस भीड़ का फायदा भी उठा रहे हैं और बिना टिकट की अपने गंतव्य तक की यात्रा कर रहे हैं। मुंबई में लॉक डाउन लगने के बाद प्रवासियों के आने का सिलसिला तेज हो चुका है। ट्रेनों में भीड़ देखकर कोई भी रेलवे कर्मचारी उसमें घुसने की हिम्मत नहीं जुटा रहा है। लिहाजा मुंबई से आने वाली इस भीड़ में कई ऐसे भी हैं जो डब्ल्यूटी (बिना टिकट) चल रहे हैं।
दरअसल विशेष ट्रेनों में अधिकतर मजदूर वर्ग सफर कर रहा है। ऐसे में ज्यादातर लोग भीड़ की आड़ में सफर तो शुरू कर देते हैं लेकिन टिकट आरक्षित नहीं कराते। यह लोग आसानी से अपने गंतव्य भी पहुंच जाते हैं क्योंकि ट्रेनों में सफर के दौरान टीटीई भी कोच में जांच करने नहीं जाते। ऐसा ही कुछ हाल दिल्ली से आने वाली ट्रेनों का भी है। इन ट्रेनों में भी प्रवासी बिना टिकट सफर कर रहे हैं। दैनिक जागरण टीम की पड़ताल में यह बात सामने आयी। हालांकि मजदूरों का इस पर अपना तर्क है। उनका कहना है लॉकडाउन का डर और घर जाने की आपाधापी में टिकट लेना मुश्किल हो जाता है। टिकट काउंटर पर लंबी भीड़ लगती है। गाड़ी छूटने के डर के चलते बिना टिकट ही सफर शुरू करते हैं। ट्रेन में टीटीई आते तो वह टिकट बनवाने को भी तैयार हैं।