ओमान में महिलाओं ने चार महीने तक काम किया और एक भी रुपये मेहनताना तक नहीं मिला
शुक्रवार को परमजीत भी ओमान से आ गईं। दिल्ली आने के बाद बस से वह संगरूर पहुंचीं। परमजीत ने बताया कि चंडीगढ़ के एजेंट ने 60 रुपये लेकर एक जनवरी को दुबई भेजा था जहां से फरवरी में ओमान लाया गया।
कानपुर, जेएनएन। ओमान में फंसी संगरूर निवासी महिला शुक्रवार दोपहर बाद अपने घर पहुंच गई, जहां वह अपनों से मिलकर रो पड़ी। महिला ने बताया कि चार महीने तक ओमान की सर्वेंट एजेंसी संचालिका आयशा ने प्रताडि़त करके काम कराया, लेकिन वापस आते समय उसने एक भी पैसा नहीं दिया। महिला ने कहा कि वह ओमान भेजने वाले एजेंट से दी गई रकम वापस मांगेगी।
पंजाब के एजेंटों ने नौकरी का झांसा देकर जालंधर निवासी रेशमा व संगरूर की परमजीत कौर को पहले दुबई और वहां से ओमान भेजा था। जहां सर्वेंट एजेंसी की संचालिका आयशा ने उनसे बंधक बनाकर काम कराया था। पिछले माह उन्नाव निवासी राजमिस्त्री की पत्नी पुलिस उपायुक्त अपराध सलमान ताज पाटिल के प्रयास से वापस भारत लौटीं तो उन दोनों महिलाओं ने भी डीसीपी से गुहार लगाई थी। इसके बाद पुलिस के प्रयास से सात मई को रेशमा सकुशल वापस लौटीं।
शुक्रवार को परमजीत भी ओमान से आ गईं। दिल्ली आने के बाद बस से वह संगरूर पहुंचीं। परमजीत ने बताया कि चंडीगढ़ के एजेंट ने 60 रुपये लेकर एक जनवरी को दुबई भेजा था, जहां से फरवरी में ओमान लाया गया। कानपुर के पुलिस उपायुक्त अपराध की मदद से वह लौट सकी हैं। उन्होंने बताया कि चार महीने में करीब सवा लाख रुपये कमाए, लेकिन आयशा ने पूरा पैसा हड़प लिया। वह खाली हाथ भारत आई हैं। टिकट का खर्च भारतीय दूतावास ने उठाया है। उन्होंने आयशा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि महिलाओं की शिकायत ओमान के भारतीय दूतावास तक पहुंचाई जाएगी।