Kanpur Weather Update: पश्चिमी विक्षोभ से मैदानी क्षेत्रों में हिमपात के आसार, ओलावृष्टि से फसलों को हो सकता नुकसान

तेज हवाएं मध्यम वर्षा और ओलावृष्टि उन फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है जो कटाई के लिए तैयार हैं। पश्चिमी विक्षोभ 25 मार्च तक पूर्व की ओर खिसक जाएगा और साफ हो जाएगा। उत्तर की ओर से चलने वाली ठंडी हवाएं 27 मार्च तक तापमान को कम कर सकती हैं

By Akash DwivediEdited By: Publish:Mon, 22 Mar 2021 02:29 PM (IST) Updated:Mon, 22 Mar 2021 02:29 PM (IST)
Kanpur Weather Update: पश्चिमी विक्षोभ से मैदानी क्षेत्रों में हिमपात के आसार, ओलावृष्टि से फसलों को हो सकता नुकसान
उत्तर की ओर से चलने वाली ठंडी हवाएं 27 मार्च तक तापमान को कम कर सकती हैं

कानपुर, जेएनएन। नया पश्चिमी विक्षोभ तेज हवा के झोंके लेकर आएगा, जिसका असर मैदानी क्षेत्रों पर दिखाई देगा। पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा और हिमपात के आसार है। वर्षा की संभावना दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। कानपुर, लखनऊ, इटावा, फतेहपुर, जालौन, फर्रुखाबाद समेत आसपास के जनपदों में हल्के बादल छा सकते हैं। हवा सामान्य से काफी तेज चलने का अनुमान है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय के मुताबिक सोमवार को जम्मू कश्मीर के ऊपर सक्रिय हो रहा पश्चिमी विक्षोभ मार्च का सबसे ताकतवर विक्षोभ साबित होगा।

इससे मौसम में आंशिक परिवर्तन के आसार बन रहे हैं। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में उतार चढ़ाव होगा। जम्मू और कश्मीर, गिलगिट बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश होगी और बर्फ गिरेगी। यह मार्च का अंतिम सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ हो सकता है। दिल्ली और मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में सोमवार और मंगलवार को गरज के साथ बारिश के आसार हैं। इन गतिविधियों को प्री-मानसून गतिविधियां कहा जा सकता है। तेज हवाएं, मध्यम वर्षा और ओलावृष्टि उन फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है जो कटाई के लिए तैयार हैं। पश्चिमी विक्षोभ 25 मार्च तक पूर्व की ओर खिसक जाएगा और साफ हो जाएगा। उत्तर की ओर से चलने वाली ठंडी हवाएं 27 मार्च तक तापमान को कम कर सकती हैं। इसके बाद, दिन और रात के तापमान में क्रमिक वृद्धि का अनुमान है।

कमजोर रहे पश्चिमी विक्षोभ

फरवरी और मार्च के महीने में कई पश्चिमी विक्षोभ ने पश्चिमी हिमालय का रुख किया, लेकिन पहाड़ों पर भारी बारिश और बर्फबारी देने में नाकाम रहे। उत्तरी मैदानों में भी व्यापक बारिश नहीं हुई। पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता नवंबर के महीने से बढऩे लगती है और फरवरी तक जारी रहती है। मार्च तक, पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता और आवृत्ति कम होने लगती है। कभी-कभी मार्च के महीने में भी, पश्चिमी हिमालय पर मजबूत पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव पड़ता है, जो इस वर्ष भी है।

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