Weather Update: आसमान में बादलों और बूंदाबांदी ने बदला मौसम का मिजाज, अब हो सकती बारिश

कानपुर में पिछले दो दिनों से चिलचिलाती धूप लोगों को परेशान कर रही थी लेकिन बुधवार को मौसम सुहाना हो गया। आसमान में बादल छाने के साथ बूंदाबांदी से तेज बारिश की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं ।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 01:49 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 01:49 PM (IST)
Weather Update: आसमान में बादलों और बूंदाबांदी ने बदला मौसम का मिजाज, अब हो सकती बारिश
कानपुर में बादलों से खुशनुमा हुआ मौसम।

कानपुर, जेएनएन। बीते कुछ दिनों से तल्ख रहे मौसम के तेवर बुधवार को हल्के नजर आए। आसमान में छाए बादल और बूंदाबादी से मौसम बदला नजर आने लगा है, हालांकि उमस बढ़ने से लोग पसीने से तरबतर हो रहे हैं। मौसम विभाग की मानें तो यूपी पर मानसूनी टर्फ लाइन सक्रिय हो रही है और अब तेज बारिश हो सकती है। इस बार मानसून तीस सितंबर तक रहने के आसार हैं और बारिश के बाद मौसम में ठंडक आने की उम्मीद है।

पिछले दो दिनों से चिलचिलाती धूप लोगों को परेशान कर रही थी, लेकिन बुधवार को सुबह से मौसम खुशनुमा हो गया। आसमान में बादल छाने के साथ छिटपुट बूंदाबांदी बनी रही। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानियों का कहना है कि आने वाले दो-तीन दिन तक तेज बारिश हो सकती है और पांच दिन तक मौसम ऐसा ही रहेगा। आसमान में बादल छाए रहेंगे और बूंदाबांदी के साथ रुक रुक कर बारिश होगी। मौसम के इस बदलाव से दिन के तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक गिरावट भी दर्ज हो सकती है।

सीएसए के मौसम विभाग के अनुसार बुधवार को न्यूनतम तापमान 26.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से करीब डेढ़ डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पांडेय ने बताया कि यूपी के ऊपर हवाओं का क्षेत्रीय चक्रवात बनने से तेज हवाओं क़े साथ बारिश की पूरी सम्भावना है। इस बार सितंबर अंत तक मानसून बने रहने के आसार हैं।

इस बार बारिश लाएगी गुलाबी ठंड: मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पांडेय ने बताया कि अब लगातार बादल छाए रहेंगे और बारिश के चलते मौसम में नमी भी बढ़ जाएगी। इस वजह से अक्टूबर के पहले हफ्ते से गुलाबी ठंड पड़ने के आसार हैं। सुबह और रात में लोगों को सर्दी से बचना होगा।

फसलों को बचाना होगा : मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि बारिश और धूप क़े बीच किसानों को अपनी फ़सलों को बचाना होगा। अगर खेतों में पानी भरे तो उसे फ़ौरन निकालने की व्यवस्था करें। जरूरत लगने पर ही सिंचाई करें।

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