Bikru Case की जांच से Vikas Dubey के करीबी पूर्व एसओ विनय तिवारी और दारोगा केके शर्मा की फाइलें बाहर

बिकरू कांड में एसआइटी ने 31 पुलिस कर्मियों पर संदेह जताते हुए जांच के आदेश दिए थे। इसमें चौबेपुर एसओ रहे विनय तिवारी और केके शर्मा समेत सात के खिलाफ वृहद दंडात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई थी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 08:03 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 09:00 AM (IST)
Bikru Case की जांच से Vikas Dubey के करीबी पूर्व एसओ विनय तिवारी और दारोगा केके शर्मा की फाइलें बाहर
एसआइटी ने विनय तिवारी और केके शर्मा पर वृहद दंड की संस्तुति की थी।

कानपुर, जेएनएन। बिकरू कांड में आरोपित पुलिस कर्मियों में विकास दुबे के सबसे करीबी माने जाने पूर्व एसओ विनय तिवारी और दारोगा केके शर्मा की फाइलें अब जांच से बाहर कर दी गई हैं। पुलिस अफसरों ने यह फैसला दोनों आरोपितों द्वारा बयान में असमर्थता जताने और संविधान की धारा का हवाला देते हुए जेल से बाहर आने तक बिकरू कांड की जांच रोके जाने की मांग पर लिया है। अब दोनों पूर्व पुलिस अफसरों की फाइलें अलग करके जांच की जाएगी।

चौबेपुर के बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके गैंग ने सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। इसके बाद पुलिस ने विकास दुबे और उसके सात साथियों को एनकाउंटर में मार दिया था। गिरोह से जुड़े और घटना में शामिल रहे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके गिरफ्तारियां की थी। इसमें विकास दुबे के सबसे करीबी माने जाने वाले चौबेपुर थाने में एसओ रहे विनय तिवारी और गांव के हल्का इंचार्ज केके शर्मा की भी संलिप्ता उजागर होने पर गिरफ्तार किया था।

इसी क्रम में एसआइटी ने 37 अराजपत्रित पुलिस कर्मियों को विकास दुबे का करीबी मानते जांच के आदेश दिए थे। एसआइटी ने सब इंस्पेक्टर विनय तिवारी, केके शर्मा, अजहर इशरत, कुंवरपाल सिंह, विश्वनाथ मिश्रा, अवनीश कुमार सिंह और सिपाही अभिषेक कुमार और राजीव कुमार को गंभीर दोषी मानते हुए वृहद दंड की संस्तुति की थी। इस मामले में इन सभी पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है। हालांकि अन्य 31 के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है।

बिकरू कांड की जांच के लिए पुलिस अफसर आरोपित विनय तिवारी और केके शर्मा के बयान लेने जेल गए थे। दोनों ने जेल में रहते हुए अपना स्पष्टीकरण देने में असमर्थता जताई थी और भारतीय संविधान की धारा 311 का हवाला देकर जेल से छूटने तक जांच रोके जाने की जांग की थी। वृहद दंड की जांच एडिशनल डीसीपी आइपीएस दीपक भूकर कर रहे हैं। वृहद दंड में आरोपित को नोटिस देकर उनके ऊपर लगे आरोपों को बताया जाता है, इसके बाद एक कमेटी के सामने आरोपित से जिरह होकर दंड तय किया जाता है।

जेल में बयान से इंकार करते हुए विनय तिवारी और केके शर्मा ने संविधान की धारा 311 में नेचुरल जस्टिस का हवाला देकर जांंच रोके जाने की मांग की थी। आरोपितों के मुताबिक उनके पास कुछ ऐसे साक्ष्य हैं, जिससे उनके ऊपर लगे आरोपों को निराधारा करार दिया जा सकता है, मगर जेल में रहते हुए उन साक्ष्यों को उपलब्ध कराना संभव नहीं है। ऐसे में उन्हें समय दिया जाए। पुलिस विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जांच अधिकारी ने बिकरू कांड से विनय तिवारी और केके शर्मा को बाहर कर दिया है। अब उनकी फाइलें अलग करके जांच की जाएगी, इसकी जानकारी पुलिस आयुक्त को भी दी है। वहीं बाकी पांच आरोपितों के खिलाफ सुनवाई जल्द ही शुरू होगी।

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