Kanpur Police Encounter: शहीद सीओ की बेटी बोली- बनना चाहती थी डॉक्टर, पर अब पहनूंगी वर्दी
सीओ पिता की शहादत के बाद बेटी ने बदला इरादा गुरुपूर्णिमा पर जन्मदिन पर याद करके सुबकती रही छोटी बेटी।
कानपुर, जेएनएन। वह तो डॉक्टर बनना चाहती थी, ताकि लोगों की जिंदगी बचा सके। मगर, मुठभेड़ में सीओ पिता के शहीद होने के बाद जीने का मकसद व इरादा दोनों ही बदल दिया। अब वह वर्दी पहनेगी और जहां से पिता का अंत हुआ वहीं से इस सफर की शुरुआत करेगी। असामाजिक तत्वों को सामने लाकर उन्हें उनकी सही जगह पहुंचाना ही लक्ष्य होगा। यह कहना है बिकरू मुठभेड़ में शहीद होने वाले आठ जवानों में शामिल सीओ देवेंद्र मिश्र की बेटी वैष्णवी का।
पिता की शहादत ने भले ही वैष्णवी को अंदर से तोड़ दिया हो, लेकिन जज्बा अभी भी बरकरार है। वैष्णवी कहती हैं कि वह नेशनल एलिजिबिलिटी इंट्रेंस टेस्ट (नीट) की तैयारी कर एमबीबीएस करके डॉक्टर बनना चाहती थीं। वह जरूरतमंदों का इलाज कर उनकी जिंदगी बचाना चाहती थी। शुरुआत से ही उन्होंने यह सपना देखा था। मगर, पिता की शहादत से अब इरादा बदल दिया है। अब वह पुलिस ज्वाइन कर पिता के अधूरे कामों को पूरा करेंगी। उन्होंने प्रण लिया है कि जहां से पिता ने अंत किया वहीं से शुरुआत करेंगी।
बर्थ-डे पर पिता को याद कर सुबकती रही वैशारदी
शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की छोटी बेटी वैशारदी का जन्म गुरु पूर्णिमा को हुआ था। रविवार को उसका जन्मदिन था, लेकिन वह पूरे वक्त पिता को याद कर सुबकती रही। मां व बड़ी बहन के कहने के बावजूद उसने कुछ नहीं खाया। रिश्तेदार भी समझाते रहे, पर उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। सीबीएसई से 12वीं की छात्रा वैशारदी के जन्म की तारीख 24 जुलाई है, लेकिन तिथि के हिसाब से उसका जन्म दिन गुरु पूर्णिमा को होता है। पिता देवेंद्र मिश्रा भी इसी दिन उसका जन्म दिन मनाते थे। हर साल उसे उपहार देते थे। मगर, इस बार बर्थ-डे पर पिता नहीं थे। वैशारदी पिता की फोटो देखकर रोती रही। रिश्तेदारों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान दो अप्रैल को बड़ी बेटी वैष्णवी का जन्मदिन था। वहीं, 26 मई को देवेंद्र और आशा की शादी की सालगिरह थी। व्यस्तता के बाद भी सीओ ने बर्थ-डे सेलीब्रेट किया था।
उस रात सिलिंडर देने फ्लैट पर आए थे सीओ
दो जुलाई की रात करीब आठ बजे पॉम कोर्ट अपार्टमेंट स्थित अपने 304 नंबर फ्लैट में सिलिंडर रखवाने आए थे। वह जल्दी में थे। फ्लैट के अंदर भी नहीं आए और बाहर से पत्नी व बेटी से बात करके निकल गए थे। जाते समय पत्नी ने खाना दिया था जिसे उन्होंने बिल्हौर में अपने आवास पर खाया। उनके घरेलू सहायक छोटू ने स्वजनों को बताया था कि रात करीब 10 बजे खाना खाने के बाद ही किसी का फोन आया और सीओ तुरंत अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गए। उन्होंने जाते समय कुछ नहीं बताया था।